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               मीना	ी  :  दु%नया  म  अUधकतर  लोग  दूसर'  का     उन  कPवय'  को  सुनना  मुझे  अfछा  लगता  था।
                                     े
                                                                           े
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               #लखा पढ़ते ह, क ु छ ऐस भी ह जो शायद #लखना         हालां9क  मेर  साथ  पढ़न  वाल!  लड़9कय'  को  यह
                                                                                      े
               चाहते ह पर #लख नह!ं पाते। पा6 नह!ं #मलते या      Vयादा  पसंद  नह!ं  था।  होता  य  था  9क  अगर
                                                                                               े
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                                                                        7
               शhद ह! खो जाते हg। क ु छ को तो अहसास ह! नह!ं     कॉलेज म 9कसी कारण कभी छ ु Šट! हो जाती थी,
                                                                                  े
                                                                                       े
                                                                                             े
                                                    7
               होता  9क  वो  #लख  सकते  ह  या  उSह  #लखना       तो  मेर  साथ  पढ़न  वाल  लड़क-लड़9कयां  #सनेमा
                                           g
                                                                      े
               चा1हए।  मै6यी  जी  आपको  कब  लगा  9क  आप         दखन जाते थे और मg लाइ‹ेर! चल! जाती थी और
                                                                 े
                                                                     े
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                                                                      7
               #लखना चाहती ह, आपको पहल! बार रचनाशीलता           9कताब  %नकाल-%नकाल  कर  पढ़ा  करती  थी।  तब
                                                                         े
                                                            े
                                                                                                 े
                                े
               का   पMट  dप  स  अहसास  कब  हआ  और  उसस          मुझे पढ़न का बड़ा शौक था, #लखन का तब नह!ं
                                               ु
                                          े
               मह?वूपण  हम य जानन चाहग 9क &य' हआ?               सोचा  था।  मg  एक  बात  कह  मीना ी,  तब  मुझे
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                                    े
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                                                                                          ू
                                                     ु
                                                                Uच1टठयां #लखना अfछा लगता था और मg UचŠठt
                                                                #लखती भी थी और Uच1टठयां मुझे #मलती भी थीं।
                                                                वह उŒ बहत पKरप&व नह! थी, 9कशोराव था थी
                                                                           ु
                                                                और  तब  मg  उन  Uच1टठय'  क  dप  म  कPवताए
                                                                                                    7
                                                                                            े
                                                                                                             ं
                                                                                 े
                                                                                            े
                                                                                                            े
                                                                    े
                                                                पढ़न  लगी,  #लखन  लगी।  मgन  कॉलेज  प56का  क
                                                                #लए  भी  #लखा  ले9कन  भPवMय  म  कभी  गंभीर
                                                                                                 7
                                                                         ं
                                                                                                        े
                                                                लेखन कdगी, ऐसा सोचा भी नह!ं था। उसक बाद
                                                                                                     े
                                                                शाद! हो गई, बfचे भी हो गए। Pववाह क पfचीस
                                                                              े
                                                                                े
                                                                साल बीत जान क बाद तक भी मg पढ़ती बराबर
                                                                                                             े
                                                                               ं
                                                                रह!।  मg  प56काए  पढ़ती  थी।  मुझे  उपSयास  पढ़न
                                                                                                   ं
                                                                का Vयादा शौक नह!ं था। मg कPवताए पढ़ती थी,
                                                                                   ं
                                                                हालां9क  मgन  कPवताए  नह!ं  #लखी।  9फर  एक  बार
                                                                           े
               मै3यी  :  मgन  कPवय'  को  बहत  सुना।  ग|य  म
                           े
                                                            7
                                           ु
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                                                                                        े
                                                                                                             7
                                                                क ु छ मन हआ 9क मg हमार गांव म हमार Kर`ते म
                                                                                               7
                                                                          ु
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                            7
               zयान  बाद  म  गया।  मg  झांसी  म  रहती  थी,  वह!ं
                                                                ह!  एक   6ी  थी,  उन  पर  एक  कहानी  #लखूं।  वह
               पढ़ती थी। वहां मैUथल!शरण गुyत भी थे, वृंदावन
                                                                                      े
                                                                 6ी  ऐसी  थी  9क  सबक  #लए  अfछा  करती  थी,
                                                            े
               लाल वमा  भी थे ले9कन मैUथल!शरण गुyत जी क
                                                                             7
                                                                उनक  दुख  म  दुखी  होती  थी,  9कसी  को  मदद
                                                                    े
               कारण  झांसी  क  हमार  बुदलखंड  कॉलेज  म  बहत
                                    े
                                                       7
                                       ं
                                        े
                             े
                                                           ु
                                                                चा1हए  होती  तो  वह  दौड़-दौड़  कर  करती।  ले9कन
               सार  कPव  आया  करते  थे,  अ&सर  कPव  सJमेलन
                  े
                                                                              7
                                                                िजस भी घर म वह मदद करती, अगर वहां कोई
                                                 े
               हआ करते थे ओर मg उनको kUच स सुनती थी।
                ु
                                                                                                             े
                                                                पुkष होता तो उस  6ी क चKर6 पर उस पुkष क
                                                                                       े
               मg कभी #लखूंगी, मgन ऐसा नह!ं सोचा था, ले9कन
                                   े
                                                                साथ  नाम  जोड़कर  लांछन  लगाए  जाते।  तब  मg
               मई – जुलाई                             10                                                                   लोक ह ता र
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