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P. 9

बहता द1रया



                                         मै3यी पु4पा से मीना	ी चौधर6 क+ बातचीत


                                                                                                            े
                                                                          े
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                                                                                                     ै
               एक $नभ7क लखक य9द वह म9हला हो तो अपने साथ पूर समाज को लकर चलती ह। उसक
                                ै
                                                  े
               पास वह >ि4ट ह िजससे वह न कवल वत'मान अAपतु भAव4य को भी पढ़ सकने का सामCय'
                       ै
               रखती ह। वह  3ी होते हए भी सबसे पहल ि 3यD क+ आलोचक ह।
                                                         े
                                                                                F
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               (सामा"य तौर पर होता Hया ह, जब हमारा प$त, हमारा पु3, हमारा भाई, हमारा Aपता, चाह वह
                                             ै
                                                        ं
               -कतना  ह6  गलत  कर  आए,  हम  ि 3या  उसी  का  प	  लती  ह।  तुमने  दखा  भी  होगा  -क
                                                                                           े
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                                                                                F
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               बलाLकार, हLया तजैसे जघ"य अपराधD म NलOत पुPषD क समथ'न म उनक घर क+ ि 3या ह6
               बोलती ह।)
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                                    )
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               नव लखकD क बार म बेबाक+ से अपनी राय रखती ह।
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                                    ं
                                         े
               सृजन क+ क9ठनाइया उनक सामने ह ह6 नह6, TबUक ु ल भी नह6 ह। आज क लखक बड़े आराम
                                                                                          े
                                                                                ै
                                                                                              े
                                                                              ं
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                                            )
               से Nलखते ह। उ"ह बीहड़D म भी रहने क+ जWरत नह6ं। मानो सारा भारतवष' हमार नगरD या
                                  )
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                                                                     े
               महानगरD म ह6 बस रहा हो, ऐसा लगता ह तो नव लखकD को Hया 9दHकत ह? सब सुAवधाएं
                                                          ै
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               ह? मेरा यह कहना ह -क हम लखक सुAवधा भोगी हो गए ह। हम पानी चा9हए। Tबजल6 चा9हए।
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                                                                              ै
                                                                                                            ै
               ए.सी. चा9हए, Hया-Hया नह6 चा9हए और जब यह सब होता ह, तब हमार6 Nलखावट होती ह।
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                                                                                      ै
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               ल-कन जब हम इन सब को छोड़कर चलते ह तो सृजन क+ राह बनती ह।
                                                                                                             )
                3ी Aवमश' म वह उस  3ी क+ बात करती ह जो शहर क+ प1र]ध से बाहर गांव क आंगन म
                                                                                                  े
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               बैठ^ प	पात और अ"याय क+ धूप म नंग पांव चूUहा ल6पती ह और उ_फ तक नह6 करतीं।
                                                                                                     ं
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               उनक लखन क बार म राज"` यादव कहते ह :“तुम गांव क+  3ी लाई हो। उ"हDने -फर कह6ं
                                                                                                        े
                                                              ं
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               Nलखा भी -क  ेमचंद और रणू गांव क+ ि 3या लाए ह ल-कन मै3यी ि 3यD का गांव ल आई
                                                                      F
                                                                         े
               ह।“
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                                       )
               जी हा, लोक-ह ता	र म बहता द1रया म   तुत ह 9हंद6 भाषा क+ सशHत लcखका मै3यी पु4पा
                                                                 ै
                                                       )
                                                                                           े
               से मीना	ी चौधर6 क+ अ"तरग बातचीत जो कई अथd म समाज क हाNशय से बाहर क+ दु$नया
                                                                       )
                                                                                 े
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               से आपको  Nमलवाती ह। मै3यी  पु4पा जी और मीना	ी चौधर6 जी का इस बातचीत को लोक
                                           े
               ह ता	र का 9ह सा बनाने क Nलए आभार :
               मई – जुलाई                             9                                                                   लोक ह ता र
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