Page 55 - Microsoft Word - word lok hastakshar - Copy
P. 55

े
                                                                                                        ं
                                                            े
                       ‘नौकर  को  न  hयाह  दना  बाबुल,  हलवाह          ‘‘पर मg कौन सा डुगडुगी बजा रहा ह? यह
                                                                                                        ू
                                                                                                      े
                    े
                                                                                           े
               बहतेर...  नौकर  लोग  तो  घर  नह!ं  रहते,  %न?य   तो तुम ह! खाहम{वाह का टSशन ले रह हो 9क
                  ु
                          े
               +दस म डेर, मg तुझे वज  रह!...!’                  मg ठगी &य' नह!ं कर रहा... यह... वह...’’
                      7
                  े
                      ं
               चाय  ठडी  हो  रह!  थी।  ‘नौकर!-पेशा’  पु6  गुरPवंदर      ‘‘पर...’’
               और हलवाहा पूत सुखPवंदर पता नह!ं कहां खो गए              ‘‘पर-वर क ु छ नह!ं... जो इSसान ईमानदार!
               थे।                                              क> कमाई से पेट नह!ं भर सकता तो उसका मरना
                                                                                                         े
                                                            े
                                                                                                    े
                                                                           ै
               Pवलुyत तो 1दल!प भी रहता था, आदशw क कट!ल          ह! बेहतर ह।’’ कह कर 1दल!प ने उसक चेहर क>
                                                        ं
                                                      े
                       7
               जंगल म... तब ह! तो उस अपने बfच' क> श&ल           ओर ताका।
                                       े
               +`न Uच¾न सी लगन लगी ह। नामालुम कब कौन                   वह  खीझ  कर  बोला,  ‘‘तो  जाओ  भाड़  म।
                                   े
                                          ै
                                                                                                            7
               सा +~ खड़ा कर द। &या मांग ल? बात टालन क           साले  तुJहार!  सम या  और  ह।  मg  बताऊ,  तुJहार
                                 7
                                              7
                                                          े
                                                            े
                                                                                                             े
                                                                                                     ं
                                                                                           ै
               #लए अगर झूठ बोला तो मरा, सच बोला तो भी           1दमाग म जो ह न, पु#लस का ड2डा...!’’
                                                                        7
                                                                              ै
                                             े
               मरा। दोबारा +%त +`न कर बैठग, ‘वह &य' पापा?
                                           7
                                                                       उसक {याल' म पु#लस का ड2डा ता2डव
                                                                                      7
                                                                           े
               सामने वाले भार|वाज अंकल तो...?’
                                                                करने  लगा।  उसने  {याल  झटक  1दया।  क ु छ  पल
               अब  बfचे  इस  बात  से  तो  पKरUचत  नह!ं  हg  9क   थमकर  बोला,  ‘‘उन  औरत'  ने  कौन-सी  ठगी  क>
               भार|वाज  अंकल  9कतने  ÁMट  हg।  उनक>  काय        थी,  िजनक  खाल!  घड़'  पर  ला1ठयां  बरसी  थीं...?
                                                                         े
               +णाल! पर 9कसी को 9कसी +कार का कोई 9क ं तु-       पीने क पानी क #लए मटका रल! ह! तो %नकाल
                                                                                             ै
                                                                              े
                                                                      े
               परतु न सह! पर 1दल!प पर फौरन लोग हस पड़ते          रह! थीं। %तस पर भी उन पर ड2डे बरसाए गए!’’
                                                      ं
                  ं
                                    े
                 g
               ह... ‘#सWांत भी तो दखो कसे ह... काम ह! पूजा
                                         ै
                                             g
                                                                       ट ू टते  घड़े,  ट ू ट  क>  5बखर  रह!  चूZडयां,
                                         े
               और  ईमानदार!  ह!  धम !  अर  धम   को  लेकर  &या
                                                                       े
                                                                कइय' क #सर और कलाइय' से बहता हआ र&त...
                                                                                                    ु
                       ै
               चाटना ह! 9कसी गंगा घाट पर भी इस चीज को
                                                                dह कपाने वाले  `य उसक सामने साकार हो उठ।
                                                                     ं
                                                                                        े
                                                                                                           े
               कोई नह!ं पूछता।’
                                                                                                    ै
                                                                                                             े
                                                                       ‘पु#लस  इतनी  बेरहम  &य'  ह?’  सोचन
                                           ं
                                                     7
                    ं
               रडी रडापा तो काट ले पर मुसटडे काटने द तब न!
                ं
                                                                                            े
                                                                        ं
                                                                लगा।  यू  जैसे  एक  ड2डा  उसक  #सर  पर  भी  आ
               एक  1दन  बलबीर  ने  कह  ह!  1दया  था,  ‘‘1दल!प,
                                                                पड़ा हो।
               एक 1दन तुम अव`य हक>कत क> जमीन पर आ
               जाओगे।’’                                                अSततः  बलबीर  ने  बात  का  %नचोड़  ह!
                                                                %नकाल  डाला,  ‘‘भाइयो,  कह!ं  यह  मgटल  ह!  न  हो
               ‘‘भाई, मg तो अब भी जमीन पर ह! ह।’’
                                                 ं
                                                 ू
                                                                जाए!  इसक>  घरवाल!  और  बfच'  का  &या  होगा
                                                        7
                          े
                       ‘‘अर कहां! अभी तो तुम हवा से बात कर      9फर? वह बेचार! तो अगर रॉक गाड न म घुस जाए
                                                                                                    7
               रह हो।’’                                         तो %नकलने का माग  भी नह!ं तलाश कर सकती!’’
                  े
                       ‘‘पर यार...!’’                                  सब LखलLखला कर हस 1दए थे।
                                                                                          ं
                                                  7
                          े
                       ‘‘अर छोड़ो, आजकल ऐसी बात करने वाल'
               को लोग प?थर मारते हg।’’
               मई – जुलाई                             55                                                                   लोक ह ता र
   50   51   52   53   54   55   56   57   58   59   60