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P. 56

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                                                                                                          े
                       पर 1दल!प को हसी नह!ं आई थी। जब वह               राVय  सरकार  ने  अपना  एक  कारपोरशन
               इन लोग' क ठहाक' म शा#मल नह!ं हो पाता तो          भंग कर उSह सरyलस सैल म डाल 1दया था। एक
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                                                                            7
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               ये उसको तरस का पा6 समझते हg। ले9कन 1दल!प         वष  तक वहां 1हलगे रहने क प`चात 1दल!प स1हत
                                                                                         े
                                                                                             7
               को महसूस होता ह 9क ये सब रॉक गाड न म खोए         क ु छ अSय को लाटर! Pवभाग म लगा 1दया गया।
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                                                        7
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               हए लोग हg और उसे महकते रोज गाड न म खड़ा           वे सारा 1दन यहां लोग' क सपन' क वाउचर को
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                                                                                       7
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               दख कर ह!न भावना महसूस करते हg।                   बंडल' म बांध कर बोर' म भरते रहते हg।
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                                                                                     े
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                       रॉक गाड न! हां! 9कतना दूरदश” और Pव_             ‘‘राम +काश! य बोर उधर  टोर म रखो!’’
                                                                                                  ै
               Dयि&त होगा, वह आदमी िजसने रॉक जैसे कठोर          इस मुगालते म 9क वह यहां  थाई ह, कभी-कभी
                                                                              7
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               शhद क साथ गाड न जैसा कोमल शhद जोड़ 1दया।          उसक> आवाज म अ%तKर&त आ?मPव`वास झलकन
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                                                                                                             े
                                                                       ै
               अव`य  ह!  वह  पहले  ह!  ताड़  गया  होगा  9क  इस   लगता ह।
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               प?थर'  क  शहर  म  लोग'  को  Áम  पाल  कर  ह!             पर  कई  अवसर'  पर  यह  आ?मPव`वास
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               जीना  होगा।  #सफ  नोट  Uगनते  हए  और  सम त       क?तई  जवाब  द  जाता  ह।  होल!  वाले  1दन,  कई
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                                                                               े
                                                                                       ै
               लोग, Kर`ते-नाते दो त-यार नंबर |वारा ह! पहचाने    दुकान' पर तो वह रट पूछने क #लए भी नह!ं dका
                                                                                           े
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               जाएंग...  703  वाल!  आ2ट!...  20  सै&टर  वाल     था। ये तो महगी ह'गी। स ती म•ी yलाि टक क>
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               अंकल...  सै&टर  17  क>  मा9कट...  गूगामाड़ी,      छोट!-छोट!  PपचकाKरयां...  पूरा  बाजार  छान  मारा

               गंगानगर सब भूल जाएंगे। यह भी भूल जाएंगे 9क       पर कह!ं नह!ं #मल!ं। हर दुकान पर Pप तौल और
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               कसKरया बालम पधारो Jहार दस...                     बंदूक क> श&ल वाल! PपचकाKरयां थीं। रग भर कर
                                                                                                    ं
                       यहां तो मेहमान क आगमन का समाचार          घोड़ा दबाओ तो दोनाल! स रग क> धार %नकलेगी।
                                                                                          ं
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               भी यू चgका दता ह जैसे भूडोल।                     लाल  सुख   रग  क>  धार।  पर  इतनी  महगी...  हर
                                                                           ं
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                       जब  वह  कहता  ह  9क  आजकल  तो  हर        ओर बस लूट ह! मची हई ह!
               चीज एम.एन.सीज क संकत पर... तो यार दो त                  दुकानदार'  को  इस  बात  क>  र?ती  भर
                                  े
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               ‘वqडा आया कामरड’ कह कर उसका मजाक उड़ा             परवाह नह!ं ह। लोग ?यौहार क अवसर पर बाजार
                                                                            ै
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               दते हg।                                          म आए हg तो क ु छ न क ु छ तो ले कर जाएंग ह!।
                                                                                                         े
                                                                  7
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                       ‘‘सर सूतल!...?’’ एक मह!न-सा नार!  वर     आजकल  जैसे  सामान  क>  Zडमा2ड  ह  वह!  तो
                                                                          े
                                                                                     7
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               उसक कान' म पड़ा।                                  उपलhध रहगा बाजार म।
                                                                                                       ै
                       वह अपनी Uचंतन धारा से %नकल कर हाल               दुकानदार एक और को#शश करता ह, ‘‘यह
                                                                                                             े
                                                                                  े
               म  लौट  आया।  हाल  जो  वाउचर'  क  बंडल,  बोर,    ले  लो  बाऊजी,  ए.क.-47,  इस  व&त  तो  सब  स
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                                                                             ै
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               ठकदार |वारा सyलाई क> गई सुदर ले9कन मूलतः         स ती  यह!  ह।  Pपचकार!  क>  धार  भी  दूर  तक
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                                                                                                  7
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               साधारण सी लेबर-लड़9कय' और उनक 1ट9फन' स            जाती ह... यह चीनी माल ले लो, हर रज का ह।’’
                                                            े
                                 ै
               लगभग भरा हआ ह।                                          उसक> रज से अब भी सब बाहर हg। वह
                                                                               7
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                                                                रग' क भाव भी दरया“त कर चुका ह। इससे पहले
                                                                                                 ै
                                                                     े
                                                                 ं
                                                                              ं
                                                                कभी इतने बदरग नह!ं थे रग।
                                                                                        ं
               मई – जुलाई                             56                                                                   लोक ह ता र
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