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पहले 6ी ने जुबान क ताल' म धम क मार क> दहशती धम लाठt
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बसर क> िजंदगी या मार मार कर उसक सJमान को
और दूसर! घूँघट म रह! जीवनभर दबोची जा सकती उसक> उड़ान
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तीसर! जो सुबह
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करती थी सूय को नमन 9फर भी य
तब ह! वो दख पायी थी चौथी औरत नह!ं घबराती
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पूरा आसमान उसक पास ह #श ा क> मजबूत
शायद यह!ं से #लया होगा जीवनदायनी अमृत yयाल!
उसने उजा भरा तेज और बेZड़य' को खोलने क> मजबूत मSशा
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और उषाकाल म जSम हआ होगा इस चौथी और भेZड़य' क Lखलाफ़ लड़ने का ज§बा
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औरत का
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चौथी औरत मजबूती से डटकर लड़7गी सब स
िजसने तोड़ा था जुबानी ताला वो बस इन तीन औरत' को ह! #सफ बचाना नह!ं
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उतार फका था घूँघट चाहती
सूरज को अपने म समा उसे तो ये भी Uचंता ह 9क
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वो बन गयी ह रोशनी पांचवी औरत को
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िजससे वह शायद ये समाज 9फर से न बना द पांचाल!......
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#मटा सकती ह तीन' औरत' क जीवन से
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अंधकार
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लड़ सकती ह अपने अUधकार क #लए
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इ%तहासी पSन' से जुnमभर पSन' को दकर पLथर
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अिन वो फ ूँ क सकती ह
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मेर! क का प?थर
अSयाय से भर सार द तावज
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मेर पेट पर रख दना
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लंबी सांस लेना भी सीख गयीं ह
तब भरा 1दखेगा पट मेरा
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मनुकाल क रगते साँप फ ु फकार कर कर सकते
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और कोई हसकर नह!ं
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ह उसे मू%छत
कह पायेगा 9क
या पुkष?वधार! 5बfछ ू कह!ं मार न द सं क ृ %त
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"लाश का पट खाल! ह"
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क नाम से जहर!ले डंक
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या उसपर छोड़ी जा सकती ह
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लोग बहत गौर स
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बदचलन नाम से जहर!ल! गैस
दखते ह लाश' को
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या क ु nटा,बाजाd क संबोधन क> नुक>ले प?थर
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िजSद' को भी दखना
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मार उसे कर 1दया जा सकता ह घायल
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सीख लेते तो ??
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या उसक> पीठ पर पड़ सकती ह
मई – जुलाई 99 लोक ह ता र