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बस अगले मोड़ पर
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िज़ंदगी आतुर ह गल #मलने को
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9फर (6)
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9कसी इबारत को दKरया न
ं
चाक से गाढ़ा रग दना जब पूछा
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&यूँ9क शहर का हाल
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अfछ नह!ं लगते शहर #सक ु ड़ने लगा
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आँख क सुरमे गाल' पर ढलते जंगल न
और जब पूछा
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इ`क़ क ख़त को शहर का हाल
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बाKरश क दुप¹ म %छपाना शहर फलने लगा
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ता9क शहर न
पानी म धुल जाए जब सोचा
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5बछ ु ड़ने क ल×ज़ सार दKरया होना जंगल होना
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यूँ ह! दKरया सहमा जंगल उदास हआ !
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िज़ंदगी खोल ना बैठ कह!ं
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#शकायत' क पु#लंद अपन
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उदास मन पर #लबास क> तरह
थोड़ा झूठ कह!ं
मई – जुलाई 97 लोक ह ता र