Page 107 - IC23 life insurance application
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4                           THE   GAZETTE   OF  INDIA : EXTRAORDINARY                   [PART III—SEC. 4]

                        बशत   क साधारण बीमाकता  और  वा  य बीमाकता  भी ऋण सहब  सामूिहक वैयि क दुघ टना पॉिलिसयाँ
                        पाँच वष  से अिनिधक ऋण अविध तक िव ता रत अविध के िलए   तािवत कर सकते ह ।

                        आगे यह भी शत  होगी  क इन िविनयम  के िविनयम 4(ख) के उपबंध  के होने के बावजूद, जीवन बीमाकता
                        िविनयम (3) (घ) म  िविन द   प म  सामूिहक  वा  य बीमा पॉिलिसयाँ   तािवत कर सकते ह ।

                    ङ.  सामूिहक वैयि क दुघ टना पॉिलिसयाँ साधारण बीमाकता   और  वा  य बीमाकता    ारा िविश  घटना
                        को  बीमार ा   दान  करने  के   िलए  एक  वष   से  कम  अविध  के  साथ  भी    तािवत  क   जा  सकती  ह ।  या ा
                        बीमार ा और  ि गत वैयि क दुघ टना बीमार ा  दान करने वाले अ य बीमा उ पाद भी एक वष  से कम
                        अविध के िलए   तािवत  कये जा सकते ह ।

                    च.  िवदेशी अथवा देशी या ा बीमा पॉिलिसयाँ साधारण बीमाकता   और  वा  य बीमाकता    ारा केवल एक
                         ट डअलोन उ पाद के  प म  अथवा  वा  य अथवा वैयि क दुघ टना पॉिलसी के िलए एक व धत (ऐड-ऑन)
                        बीमार ा के  प म  ही   तािवत क  जा सकती ह ।

                                        अ याय II :   वा  य बीमा उ पाद  से संबंिधत उपबंध

               4.   वा  य बीमा उ पाद  के िलए उ पाद फाइ लग    या

                    क.   वा  य बीमा  वसाय के अंतग त जीवन बीमाकता , साधारण बीमाकता  अथवा  वा  य बीमाकता  के  कसी
                        भी बीमा उ पाद तथा उस पर  कसी संशोधन अथवा आशोधन का िवपणन अथवा   ताव  कसी बीमाकता
                         ारा तब तक नह   कया जाएगा जब तक  क वह उ पाद फाइ लग  दशािनद श  के  अनुसार  ािधकरण के पास
                        दािखल (फाइल) नह   कया जाता और उसम  क  गई  व था के  अनुसार  ािधकरण  ारा उसका िविधवत्
                        िनपटान नह   कया जाता।

                    ख.  जीवन  बीमाकता    के   वा  य  बीमा  उ पाद  भी  समय-समय  पर  यथासंशोिधत  िन िलिखत  िविनयम   म
                         वा  य उ पाद  के िलए िविश   प से  वि थत उपबंध  के अधीन ह गे।

                        1. आईआरडीए (संब  बीमा उ पाद) िविनयम, 2013

                        2. आईआरडीए (असंब  बीमा उ पाद) िविनयम, 2013

               5.   वा  य बीमा उ पाद का   याहार

                    i.    जीवन बीमाकता  , साधारण बीमाकता   और  वा  य बीमाकता    ारा  कसी  वा  य बीमा उ पाद का
                             याहार (िवद ॉल)  ािधकरण  ारा िविन द   दशािनद श  के अधीन होगा।


                    ii.   इन िविनयम  के  िविनयम 3(ख) के उपबंध  के अनुसरण म  जीवन बीमाकता    ारा   तािवत  ितपू त
                           आधा रत  वा  य उ पाद  के िविश    याहार के  संबंध म  समापन क  एक भावी तारीख देते  ए उ पाद
                           को समा   कया जाएगा जो तारीख इन िविनयम  क  अिधसूचना क  तारीख से तीन महीने के बाद क
                           नह   होगी।  वत मान  पॉिलसीधारक   के  िलए,  पॉिलसी  संबंिधत  पॉिलसी  अविध  क   समाि   तक  जारी

                           रहेगी।

               6.   वा  य बीमा उ पाद  क  समी ा

                    (i)   जीवन बीमाकता  , साधारण बीमाकता   और  वा  य बीमाकता   के  कसी भी  वा  य बीमा उ पाद के
                           सम त िववरण क  समी ा उसके  ारंभ, संशोधन अथवा आशोधन के बाद िनयु  बीमांकक  ारा कम से
                           कम वष  म  एक बार क  जाएगी। य द यह पाया जाता है  क उ पाद अथ  म नह  है अथवा  ु टपूण  है तो
                           िनयु  बीमांकक उपयु   प म  उ पाद म  संशोधन कर सकता है तथा इन िविनयम  के िवनयम 10 के
                           उपबंध  के अधीन उ पाद फाइ लग  दशािनद श  के  अधीन संशोधन के िलए आवेदन कर सकता है।









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