Page 106 - IC23 life insurance application
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ड. "सुवा ता" (पोट बिलटी) से एक बीमाकता से दूसरे बीमाकता को अथवा एक योजना से उसी बीमाकता क
दूसरी योजना म , पहले से चल रही शत और समयब अपवज न के िलए ा साख ( ेिडट) को अंत रत करने
के िलए वैयि क वा य बीमा पॉिलसीधारक (प रवार के िलए बीमा आवरण सिहत) को दान कया गया
अिधकार अिभ ेत है।
ढ. "व र नाग रक" से ऐसा कोई ि अिभ ेत है िजसने वा य बीमा पॉिलसी के ारंभ अथवा नवीकरण क
तारीख क ि थित के अनुसार साठ अथवा उससे अिधक वष क आयु पूरी क है।
ण. "िविन द " से अनुसूची-III म सूचीब िवषय पर अथवा इन िविनयम के अंतग त ािधकरण ारा िविन द
कये जाने के िलए अपेि त कसी भी अ य िवषय पर इन िविनयम के योजन के िलए प रप , दशािनद श
अथवा अनुदेश के िनग म ारा समय-समय पर ािधकरण ारा िविन द अिभ ेत है।
त. "तृतीय प बंधक अथवा टीपीए" से ऐसा कोई भी ि अिभ ेत है जो ािधकरण ारा अिधसूिचत
आईआरडीएआई (तृतीय प बंधक – वा य सेवाएँ) िविनयम, 2016 के अधीन पंजीकृत है तथा उन
िविनयम म यथाप रभािषत वा य सेवाएँ दान करने के योजन के िलए कसी बीमा कंपनी ारा शु क
अथवा पा र िमक के िलए िनयु है।
(ii). इन िविनयम म अप रभािषत, परंतु बीमा अिधिनयम, 1938 अथवा बीमा िविनयामक और िवकास
ािधकरण अिधिनयम, 1999 अथवा उनके अधीन बनाये गये िनयम अथवा िविनयम म प रभािषत श द और
अिभ ि य के अथ वही ह गे जो उन समय-समय पर यथासंशोिधत अिधिनयम , िनयम अथवा िविनयम , म
मशः उनके िलए िनधा रत कये गये ह ।
3. वा य बीमा वसाय का पंजीकरण और िव तार
क. वा य बीमा उ पाद केवल उ ह सं था ारा तािवत कये जा सकते ह जो समय-समय पर यथासंशोिधत
बीमा िविनयामक और िवकास ािधकरण (भारतीय बीमा कंपिनय का पंजीकरण) िविनयम, 2000 के अधीन
जीवन बीमा अथवा साधारण बीमा अथवा वा य बीमा वसाय करने के िलए दान कये गये िविधमा य
पंजीकरण से यु ह ।
ख. जीवन बीमाकता दीघ कािलक वैयि क वा य बीमा उ पाद अथा त् 5 वष या उससे अिधक अविध के िलए
तािवत कर सकते ह , परंतु ऐसे उ पाद के िलए ीिमयम कम से कम तीन वष के येक खंड क अविध के
िलए अप रव तत रहेगा, उसके प ात् ीिमयम क समी ा क जा सकती है और आव यकता के अनुसार उसम
आशोधन कया जा सकता है।
बशत क जीवन बीमाकता वैयि क अथवा सामूिहक तौर पर ितपू त आधा रत उ पाद तािवत नह कर
सकता। जीवन बीमाकता ारा तािवत सभी वत मान ितपू त आधा रत उ पाद इन िविनयम के अंतग त
िविन द प म हटाये जाएँगे।
परंतु यह भी शत होगी क यूिनट सहब लेटफाम के अंतग त कोई भी एकल ीिमयम वाला वा य बीमा
उ पाद तािवत नह कया जाएगा।
ग. साधारण बीमाकता और वा य बीमाकता एक वष क यूनतम अविध और तीन वष क अिधकतम अविध से
यु वैयि क वा य उ पाद तािवत कर सकते ह , बशत क उ अविध के दौरान ीिमयम अप रव तत
रहेगा।
घ. कसी भी बीमाकता के ारा सामूिहक वा य पॉिलिसयाँ एक वष क अविध के िलए तािवत क जा सकती
ह । ऋण सहब उ पाद इसके िलए अपवाद ह गे जहाँ अविध ऋण क अविध तक बढ़ाई जा सकती है जो पाँच
वष से अिधक नह होगी।
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