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18                          THE   GAZETTE   OF  INDIA : EXTRAORDINARY                   [PART III—SEC. 4]

                        क. य द पॉिलसीधारक  ारा अनुरोध  कया जाता है, तो वत मान पॉिलसी को एक महीने से अ यून अ प अविध

                           के िलए, ऐसी अ प अविध के  िलए आनुपाितक  ीिमयम  वीकार करते  ए बढ़ाने क  अनुमित दी जाएगी
                           तथा

                       ख.  वत मान  बीमाकता   वत मान  पॉिलसी  को  ऐसे  समय  तक  िनर त  नह   करेगा  जब  तक  नये  बीमाकता   से
                          पु ीकृत पॉिलसी  ा  नह  होती अथवा बीमाकृत  ि   ारा िलिखत म  िविश  अनुरोध नह   कया जाता

                        ग. नया  बीमाकता   ऐसे  सभी  मामल   म   पॉिलसीधारक  के  अनुरोध  के  आधार  पर  अ पाविधक  पॉिलसी  क
                           समाि  क  तारीख के साथ मेल खाने के िलए जोिखम के  ारंभ क  तारीख क  गणना करेगा।  य द  कसी
                           कारण से बीमाकृत  ि  पॉिलसी क  समाि  से पहले अथवा उपयु   खंड (5)(क) के अंतग त उि लिखत

                           अ पाविधक  पॉिलसी  क   समाि   से  पहले  वत मान  बीमाकता   के  साथ  जारी  रहना  चाहता  है,  तो  उसे
                           िनयिमत   ीिमयम   भा रत  करते   ए  और  कोई  नई  शत   लागू   कये  िबना  इस   कार  जारी  रहने  क
                           अनुमित दी जाएगी।

                    6.  य द पॉिलसीधारक ने खंड (5)(क) म  िन द   प म  िवक प  दया है और दावा   तुत  कया गया है तो वत मान
                        बीमाकता  पॉिलसी वष  के शेष भाग के िलए बाक   ीिमयम  भा रत कर सकता है, बशत   क दावे वत मान
                        बीमाकता   ारा  वीकार  कये गये ह ।  ऐसे मामल  म , पॉिलसीधारक शेष अविध के  िलए  ीिमयम अदा करने
                        के िलए िज मेदार होगा तथा उस पॉिलसी वष  के िलए वत मान बीमाकता  के साथ बना रहेगा।

                    7.  उपयु    खंड  (1)  के   अंतग त  उि लिखत  सूचना   ा   होने  पर  बीमा  कंपनी  आवेदक  को  इन   दशािनद श   के

                        अनुबंध-I म  िनधा  रत  प म  उ  सुवा ता फाम , एक   ताव फाम  और   तािवत  कये जा सकनेवाले िविभ
                         वा  य बीमा उ पाद  के संबंध म  संबंिधत उ पाद सािह य के साथ  ेिषत करेगी।

                    8.  पॉिलसीधारक   ताव फाम  के साथ सुवा ता फाम  भरेगा तथा उ ह  बीमा कंपनी को   तुत करेगा।

                    9.  सुवा ता फाम   ा  होने पर, बीमा कंपनी संबंिधत पॉिलसीधारक के  वा  य वृ  और दावा वृ  के आव यक
                        िववरण क  अपे ा वत मान बीमा कंपनी से करेगी।  यह आईआरडीएआई के वेब पोट ल के मा यम से  कया
                        जायेगा।
                    10. वत मान बीमाकता  सुवा ता के संबंध म  ऐसा अनुरोध  ा  होने पर, अनुरोध क   ाि  से 7 काय  दवस  के

                        अंदर आईआरडीएआई के  वेब पोट ल म  िनधा  रत फाम ट म  बीमा पॉिलिसय  के  थान-प रवत न (पो टग) के
                        िलए आव यक डेटा   तुत करेगा।

                    11.  य द वत मान बीमाकता  िनधा  रत समय-सीमा के अंदर नई बीमा कंपनी को उ  डेटा फाम ट म  आव यक डेटा
                        उपल ध नह  कराता, इसे आईआरडीएआई  ारा जारी  कये गये िनद श  का उ लंघन माना जाएगा तथा उ
                        बीमाकता  बीमा अिधिनयम, 1938 के  अंतग त िव मान दंडा मक  ावधान  के अधीन होगा।


                    12. वत मान बीमा कंपनी से डेटा  ा  होने पर नई बीमा कंपनी   ताव का जोिखम-अंकन कर सकती है तथा अपना
                        िनण य  पॉिलसीधारक  को  आईआरडीए  (पॉिलसीधारक   के  िहत   का  संर ण)  िविनयम,  2002  के  िविनयम
                        4(6) के  अनुसार सूिचत करेगी।


                    13. य द उपयु   समय-सीमा के अंदर डेटा  ा  होने पर बीमा कंपनी  ािधकरण के पास कंपनी  ारा दािखल क
                        गई अपनी जोिखम-अंकन  नीित के अनुसार  15  दन के अंदर अनुरोधकता  पॉिलसीधारक को  अपना िनण य
                        सूिचत नह  करती, तो बीमा कंपनी के पास ऐसे   ताव को अ वीकृत करने का कोई अिधकार नह  होगा तथा
                        वह उ    ताव को  वीकार करेगी।

                    14. िजस  पॉिलसी  का   थान-प रवत न  (पो टग)  कंपनी  के  अंदर   कया  जा  रहा  है,  उसे   वीकार  करने  के  िलए

                        बीमाकता  केवल पो टग के  योजन के िलए कोई भी अित र  लो डग अथवा  भार नह  लगायेगा।






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