Page 17 - KV Pragati Vihar (Emagazine)
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सीख मलया ररश्ते तनभाना




                  विजय का जन्म शहर में हआ था लेककन वपताजी की पोजस्िंग ग्रामीण
                                                      ु
           शेत्र में होने से उनका सम्बन्ध गाूँि से होने के  कारण इंिरमीडडएि तक की

           पढाई  गाूँि  और  शहर  दोनों  जगह  हई.  ग्रेजुएशन  में  उसने  लखन
                                                                   ु

           विश्िविद्दयालय में दाखखला ललया. िह शहर के  जीिनचयाष से बहत प्रभावित
                                                                                                ु
           था. क ु छ ही हदनों में लमत्रों से हमेशा अपनी ग्रामीण पृष्ट्वभ लम छ ु पता था. उसे

           लगता था की लोग जान जायेंगे की िह गाूँि से ताल्लुक रखता है तोह यह


           उसकी तोहीं होगी.

                  एक बार गाूँि से ररश्ते की भाभी अपने बीमार बच्चे को हदखने लखनऊ

           मेरे घर आई. उनका बेिा काफी बीमार था इसललए र्चककत्सकों ने उन्हें क ु छ


           हदन रहकर इलाज कराने की बात कही उसकी भाभी उसके  िहां ऱूककर बच्चे

           का इलाज कराने लगी. िे माूँ के  कामो में हाथ बढाती थी. उनका स्िाभाि


           अच्छा था इसललए सब लोग उनसे बहत खुश थे. विजय को उसकी भाभी का
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           रुकना अच्छा नही लगा. एक हदन उसके  लमत्र घर आये. उनमे बातें चल रही

           थी तभी उसकी भाभी चाय लेकर आई. उसके  लमत्रों ने उन्हें नमस्ते ककया और


           उनके  जाने के  बाद उनका पररचय पुछा. उसने उपेक्षक्षत ढंग से कहा की ऐसे

           ही बच्चे का इलाज करने आई है. उसके  उत्तर से उसके  लमत्र असहज हो गए.


           उनके  जाने के  बाद विजय की माूँ ने उसे बुलाकर पुछा की उसने भाभी का

           पररचय असमािनत ढंग से क्य ूँ हदया? क्या िः उर्चत था? कभी भाभी के

           गंभीर स्िाभाि, ररश्तो को सहजने की िनपुणता और लशक्षा के  बारे में सोचा


           है. अगर भाभी बहत पैसे िाली होती तोह तुम इनका पररचय इस तरह ना
                                   ु
           कराते. ककसी हदन ककसी पैसे िाले के  यहाूँ तुम्हारे साथ जब यह होगा तब

           तुम्हे ररश्तों की पररभार्ा समझ आएगी. माूँ की बात ने मुझे झकझोर कर रख


           हदया. उस हदन गांव बांध ली की ररश्तों का सम्मान कऱू ूँ गा और िः हमेशा

           येही करता है.

                                                                                                   —  भागवत
                                                                                                      नवीं ‘स’
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