Page 20 - KV Pragati Vihar (Emagazine)
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आज हमारी छ ु ट्टी है
रपववार का प्यारा ददन है,
आज हमारी छ ु ट्टी है I
उठ जायेंगे क्या जल्दी है ?
नींद तो पूरी करने दो I
बड़ी थकावट हफ्ते भर की ,
आराम जऱूरी करने दो I
नहीं घडी की ंर देखना ,
न करनी कोई भागम-भाग I
मनपसंद वस्त्र पहनेंगे ,
आज नहीं वदी का राग I
कतनष्क रावत
गमी के कोड़े
के न्रीय पवद्यालय सूरज के रथ के घोड़े ,
बरसा रहे है गमा कोड़े I
सबसे सुन्दर सबसे प्यारा
सन सन करती चलती लू,
के न्रीय पवद्यालय हमारा I
दोपहर तक तप जाती भू I
एकांत शांत जगह तनराली
चारो ंर खखली फ ु लवारी I रपव की क्रकरणे ज़्यों गढ़ी हई,
ु
सुन्दर-सा मैदान खेल का मसर पर देखो वे खड़ी हईI
ु
चारो ददशांं में हररयाली छाया लगती सबको प्यारी,
फ ु लवारी यहााँ बहत घनी है I पपंकी जाकर सोती न्यारी I
ु
पवमभन्न भाषा और संस्क ृ तत का
संध्या जब अपनी पर आती,
मेल-ममलाप होता यहााँ
पवपवर् छटा अपनी बबखरातीI
अच्छी मशिा अच्छे काम
पजश्चम में छा जाती है लाली,
दूर-दूर तक इसका नाम I
क ू क रही कोयल मतवाली I
एकता
VII ब इसी तरह छ ु प जाता है ददन,
उमस भरा कट जाता ददन I