Page 139 - Not Equal to Love
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नॉट इ वल टू लव
- IबY कु ल सह+ कहा। लोकल लड़5कय* को तो वैसे भी
5कराये के मकान म इस तरह से रहने क ज/रत कहां
पड़ती है। िलव इन हो या अके ले, बाहर क लड़5कय* को
ह+ ज़/रत पड़ती है। तुd हारा जवाब अभी पूरा नह+ं हुआ।
- दोन* जगह के जीवन म ज़मीन आसमान का फ़क< है। वहां
सब अके ले ह और 5कसी से आप बात करने के िलए भी
तरस जाते ह*गे। यहां ऐसा नह+ं है। यहां समाज का बना
बनाया ढांचा है जो आपके चाहने न चाहने के बावजूद
आपके सुख दुःख म न के वल दखल रखता है बOY क
भागीदार+ भी करता है। तो यहां आपक िनजता या
ूाइवेसी के िलए बहुत कम जगह बचती है।
- कहती चलो।
- अब इसी बात को ल। अगर आप मेरे बुलावे पर यहां आना
भी चाह तो मेरे ह सामने दस तरह क$ परेशािनयां खड़
ह)गी। आप तब िसफ* मेरे ह मेहमान नह ं ह)गे। सब खबर
रखगे और +कसी न +कसी बहाने से मुझे या सु-रंदर को
कु रेदगे। न तो म आपके होटल म आपसे िमलने आ पाऊं गी
और न ह +कसी ढंग क$ जगह आपके साथ अके ले बैठ कर
कॉफ$ पीते हुए गपशप ह मार पाऊं गी। आप मेहमान मेरे
ह)गे और आपको कं पनी सु-रंदर दगे। समझे राइटर महोदय।
- यह+ तो बात है 5क छIव 5क हर शहर म कई भारत बसते
ह और एक भारत क दूसरे भारत से कोई तुलना नह+ं।
एक मज़ेदार बात बताऊं छIव।
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