Page 142 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
- ये है आज़ाद+ का पैगाम मैडम। अब तय है इनम से कोई
तो चुन कर आयेगी। चतुर लाल क या चोखे लाल क।
वह बेचार+ पहले क तरह उपले थापती रहेगी और चतुर
लाल जी अपना धंधा छोड़ कर राजनीित क गो5टयां
Iबछायगे।
- देव, देखो ना हमार+ बात कहां से कहां पहुंच गयी। समय
का पता ह+ नह+ं चला।
- अपनी बात पर लौटो।
- अपने शहर और यहां के माहौल क सार बात तो आपको
बता चुक। सच तो ये है क हम यहां पसनल ृ ड रखना
एफोड ह नहं कर सकते। पित या भाई के अलावा बाहर
िनकले नहं या कहं बाहर नज़र आये नहं क सबको,
िलटरली सबको जवाब देना पड़ता है 5क कौन है। वी जः ट
कै न नॉट एफोड टू हैव ए मेल ृ ड। बात ख- म हो जाती है।
- समझ म आ गयी जी। थ_ स, हम बड़े शहर* म रहने वाले
अपने ह+ देश के गांव, कःब* और छोटे शहर* क Oजंदगी
के बारे म 5कतना कम जानते ह।
- लेखक महोदय िलखने पढ़ने के अलावा भरपूर देखना भी
शु/ कर।
- टेक के यर छIव।
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