Page 138 - Not Equal to Love
P. 138

सूरज ूकाश
                                        उसे पा कर रात* रात सब ठfक हो जायेगा। म दुिनया क
                                        सबसे सुखी म5हला बन जाऊं गी। सुन रहे हो न..

                                      - आगे कहो।
                                      - घर को देखती हूं तो सब ठfक लगता है। सार+ सुIवधाएं
                                        ह। पित को देखती हूं तो वे बेहद अg छे और मेरा  याल
                                        रखने वाले ह। मुझे इतना आगे बढ़ने और लगातार पढ़़ने

                                        के  िलए ूे=रत करते रहते ह। बg च* को देखती हूं तो
                                        लगता है दुिनया के  सबसे y यारे बg चे मेरे 5हः से म आये
                                        ह। खानदान म देखती हूं तो सबसे H यादा पढ़+ िलखी बहू
                                        का Oखताब और इH ज़त मेरे ह+ पास है। 5फर भी ये जो
                                        तलाश है न, यह+ मेरा पीछा नह+ं छोड़ती। पता नह+ं कब

                                        और कहां मेर+ तलाश पूर+ होगी।
                                      - कोई दोः त है आपका?
                                      -  शायद नह+ं, ले5कन इतने अg छे पित के  होते हुए कभी इस

                                        तरह से सोचा नह+ं।

                                      - मेरे सवाल का जवाब हां या न म होना चा5हये।
                                      -  जीवन म नह	ं और फे सबुक पर दो तीन। एक तो आप ह	 ह।

                                      - कभी ज़/रत महसूस नह+ं हुई?
                                      - िमः टर लेखक महोदय, बंबई जैसे अY शा मॉडन< शहर म
                                        रह कर ये बात करना बहुत आसान है। आपके  शहर म

                                        जा कर यहां क लड़5कयां भी दो एक बरस म िलव इन म
                                        रहना सीख जाती ह। रहती भी ह। झूठ कहा _ या?
                                                             137
   133   134   135   136   137   138   139   140   141   142   143