Page 154 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
- ले5कन मुझे तो खराब चोक वाली {यूब लाइट क तरह न
जाने कब तक भक...भक... जलना-बुझना है। सबक
आंख* म चुभते हुए!
सबक िचंता का माफ ऊपर उठता रहेगा। इतना ऊपर 5क
एक 5दन म ह+ उस माफ क सीमा से बाहर िनकल
जाऊं गा।
हम सब भाई यह+ मान लेते ह, इस बार दूसरे ने भेज
5दया होगा। सामने कोई नह+ं आता।
अंधे कु एं म पता नह+ं 5कतना डालना पड़े। न वापसी क
गारंट+, न मेरे ठfक होने क।
सूय< अभी-अभी डूबा है और जाते-जाते जैसे अपने पीछे
रंग* क बाYट+ को ठोकर मार गया है। सारे रंग गwड
मwड होकर Ouितज म Iबखर गये ह।
- वाह, _ या तो ः पीड है। वो कहानी पूर+ अब दूसर+ शु/ .. !
मेर #कसी न #कसी कहानी के अंश मुझे भेजती ह
रहती ह0।
- हर बात पर ये फे स बनाना बंद कर! ओके ! यहां तो हर
समय कोई न कोई कहानी आपक खुली ह+ रहती है!
- सड़क* पर अभी भी Iपछले कई बरस* के बकाया पोःट
मेजुए{स और मेजुए{स हर तरह से योJय, ज/रतमंद और
इgछ ु क होने के बावजूद अपने लायक कोई काम नह+ं
तलाश पाये थे और हर वN अपने हाथ म मैली पड़ चुक
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