Page 64 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश


                                                  10/22/2014  03.01 AM


                                      -  सर, आप मेरे िलए और मेरे जैसी लड़5कय* के  िलए
                                        फे सबुक के  मायने जानना चाह रहे थे। म कब से टाल रह+
                                        थी ले5कन आज अपनी बात कह ह+ देती हूं। इस समय
                                        रात के  तीन बजे ह और तय है आप ऑनलाइन नह+ं ह*गे!
                                        वैसे कु छ भरोसा नह+ं मेरे ऑनलाइन होने क खुशबू आप
                                        तक पहुंचे और जनाब खट से सामने आ जाय। ले5कन म
                                        ये सार+ बात िलख कर आपके  मैसेज बॉ_ स म डालने
                                        वाली हूं। आप खटखट करगे तो भी जवाब नह+ं देने वाली।

                                        यहां भी तो आप ह+ क बात का जवाब दे रह+ हूं।

                                        आप शायद जानते ह*गे 5क पूरे उxर भारत म छोटे शहर*
                                        म और कःब* म म:यम और िनdन म:यम वग< क आम
                                        लड़5कय* क पा=रवा=रक आज़ाद+ का आलम _ या है। बाक
                                        जगह* के  बारे म नह+ं जानती इसिलए कह नह+ं सकती।
                                        यहां आज़ाद+ के  नाम पर उनके  5हः से म कु छ नह+ं आता।
                                        न घर के  अंदर, न घर के  बाहर। पढ़+ िलखी होने के
                                        बावजूद उT ह न कु छ कहने क आज़ाद+ िमलती है न कु छ
                                        करने क। और न कु छ जानने क ह+। आप सव- करके
                                        देख ल, उT ह अपने घर और ः कू ल या कॉलेज के  राः ते के
                                        अलावा शहर के  दो राःत* क भी जानकार+ नह+ं होगी। हर

                                        तरह क बं5दश ह। कई घर* म लड़5कय* को नॉन वेज

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