Page 69 - Not Equal to Love
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नॉट इ वल टू लव


                                        तरफ नौकर+ करते ह। साल म दो बार आते ह। वे खुद
                                        डबल एमए ह और एक सुधार गृह म हvते म चार बार
                                        बg च* क काउंसिलंग करने के  िलए जाती ह। उनक
                                        तकलीफ ये है 5क उT ह अपने हर मूवमट क =रपोट< फोन

                                        पर अपने पित को देनी पड़ती है। घर पर कौन आया,
                                        5कतनी देर बैठा, वे खुद 5कस 5कस से िमलीं, सब लॉग
                                        बुक भरने क तरह पित को बताना पड़ता है। यहां तक
                                        5क पित महोदय इस बात के  िलए भी िमसेज आचाय< से
                                        जवाब तलब करते ह 5क रात को उनका मोबाइल लगातार
                                        इंगेज _ य* आ रहा था। इतनी रात गये वे 5कससे बात
                                        कर रह+ थीं। सीसीट+वी कै मरे क तरह वे हर समय पित
                                        क िनगरानी म रहती ह। वे इस लगातार िनगरानी से
                                        इतनी आतं5कत रहती ह 5क अब उT ह लगने लगा है 5क
                                        कह+ं यस सर यस सर क तज< पर लगातार =रपोट< देते

                                        देते वे कह+ं खुद पागल न हो जाय।
                                        मेरे  याल से इन तीन 5कःस* के  बाद कु छ और कहने

                                        क गुंजाइश नह+ं बचती 5क हमारे िलए आज़ाद+ क
                                        Oखड़क आज भी 5कतनी खुलती है।
                                        जहां तक मेर+ बात है मने ये आज़ाद+ कु छ हद तक

                                        हािसल क है। कु छ अपनी पढ़ाई, आ म Iवँ वास के
                                        बलबूते पर और कु छ सु=रंदर का सहयोग और समथ<न पा
                                        कर। मुझे घर पर और अपनी सोसाइट+ म पूरा ः पेस
                                        िमला हुआ है। म आपको बता ह+ चुक हूं 5क म फे सबुक

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