Page 94 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
                                      - आप हम इतना अनाड़+ न समझ। बचपन म अपनी छत
                                        पर खूब पतंग उड़ायी ह और दूसर* क काट+ भी ह। बस

                                        हम बहन* को ले दे कर पतंग उड़ाने क ह+ इजाज़त थी।
                                      - इसका कारण भी बता दो।
                                      - यह+ काम ऐसा था Oजसम घर से बाहर नह+ं जाना पड़ता
                                        था और मुहY ले म 5कसी से िमलने क गुंजाइश ह+ नह+ं

                                        रहती थी। छत से Oजतना मज` मः ती कर लो।
                                      - दै{स मेट। तो मेर+ बात आपको आसानी से समझ म आ

                                        जायेगी।
                                      - ूवचन शु/ कर भगवन।
                                      - पतंग जब बहुत ऊपर चली जाती है तो हवा के  ƒख के

                                        साथ अपने आप ह+ दाय बाय इतराने लगती है। पतंग
                                        समझती है, वह अब अपनी मनमज` क मािलक है। बहुत
                                        ऊपर आ गयी है ले5कन पतंगबाज तब या तो डोर तेजी से
                                        खींचते हुए पतंग को और ऊपर ले जाता है या 5फर पतंग
                                        को खूब ढ+ल देता है, चरखी को दोन* हाथ* म इस तरह
                                        से पकड़ कर रखता है 5क मांझा अपने आप खुलता जाये

                                        और पतंग हवा के  ज़ोर से और ऊपर उठती चली जाये।
                                      - सह+ कहा। ढ+ल के  समय पतंग अपनी मज` से डोलती
                                        रहती है ले5कन इस िमसाल का जः सी से मुलाकात का
                                        _ या संबंध है।




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