Page 2 - INBEF की आवाज़
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समझौते िकया करते थे, आज बै क किम र  यो  की तुलना मे  बह त आगे िनकल चुके  है  ? कौन है बै क किम र  यो  के

            सौभाग   को दुभार ग   मे  बदलने का दोषी ? कौन है बै क किम र  यो  की वतर मान दुदर शा का िज़म  ेदार ?









            माना जाता है िक सामूिहक सौदािगरी के  आधार पर प  बन  न और कमर चािरयो  के  बीच आपसी वातार  के  ज़िरए


            तय होने वाले वेतन और अन   सेवा शतो    से सम  ंिधत समझौते एक आदशर  िस  ित होते है -दुिनया भर के


            मज़दूर इस आदशर  िस  ित को पाने के  िलए संघषर  करते है -यही वजह है िक जब शास    री अवाडर  और देसाई


            अवाडर  के  बाद बै क किम र  यो  को बै क प  बंधनो  के  संघठन आईबीए के  साथ उभयपक  ीय वातार ओं के  ज़िरए वेतन


            और सेवा-शते    िद  पक  ीय समझौते तय करने के  अिधकार के  साथ साथ प  त  ेक बै क के  िनदेशक मण  ल मे 


            कमर कारो  और  अिधकािरयो   के   प  ितिनिधयो   की  िनयुिक    के   र प  मे   बै को   के   प  बन  न  मे   भागीदारी  का


            अिधकार िमला तब बै क कमी   फू ले नही  समाए थे-उन  े  लगा था िक लम  े संघषर  के  ज़िरए उपलिब  यो  की


            ऐितहािसक इबारत िलखने वाले उनके  श  िमक संघो  के  नेता ऐसे अिधकार िमल जाने के  बाद तो उपलिब  यो 


            के  अंबार लगा दे गे और बै क की सेवा देश के  प  ितभाशाली युवाओं की पहली पसंद ह आ करेगी । आज जब


            हम गत के  इितहास मे  झाँकते है  तो पाते है  िक सामूिहक सौदािगरी के  आधार पर आईबीए और सभी प  मुख


            यूिनयनो   के   मध    वातार   के   ज़िरए  वेतन,  पे सन  और  अन    सेवा  शते     तय  करने  वाली  आदशर   व  वस  ा  बै क

            किम र  यो  की आशाओं और आकांक  ाओं पर खरी उतरना तो दूर उन सफलताओं को भी क़ायम न रख सकी जो


            शास    री अवाडर  और देसाई अवाडर  के  ज़िरए बै क किम र  यो  को िमली थी-आज युवा बै क कमी   बह मत मे  है -बै क


            सेवा के  ज़िरए अपने स  िणर  म भिवष   का िनमार ण करने की आशा सँजोए ये प  ितभाशाली युवा बै क किम र  यो 


            को अशर  से फ़शर  तक पह ँचाने वाली िस  ितयो  से अनजान है -इसिलए ज़र री है िक उन  े  ऐितहािसक पृष  भूिम


            से अवगत करवा कर िफर से बै क किम र  यो  के  मान, सम  ान और स  ािभमान को वािपस पाने का रास  ा तलाशा


            जाए ।




            क  ा कहते है  शास    री और देसाई अवाडर  ?





            भुगतान  क  मता  और  लाभ  को  आधार  बना  प  ितशत  बढ़ोत  री  के   खेल  की  वकालत  करने  वाले  नेता  आज


            समानता और बराबरी की बात करने से कतराते है  वे युवाओं को आज से लगभग 65 वषर  पूवर  शास    री और


            देसाई अवाडर  के  द  ारा स  ीकार िकए गए समता और बराबरी के  िसद  ांत को नही  बताते है  । जब यह िनिवर  वाद


            र प से माना जाता है िक बै क किम र  यो  की सेवा शते    शास    री अवाडर , उसके  बाद देसाई अवाडर  और बाद मे  ह ए


            िद  पक  ीय  समझौतो   द  ारा  िकए  गए  संशोधनो   से  िनधार िरत  होती  है   िफर  शास    री  और  देसाई  अवाडर   द  ारा


            िनधार िरत िकए गए समता और बराबरी के  िसद  ान  , िजसमे  आज तक कोई संशोधन नही  ह आ है, के  प  ितकू ल




                                                                       PA G E   !  2
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