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नारी
नारी है िू, शति है िू
ज्वाला है िू, दुगात है िू
कर उन सभी का सूंघार
तजसने भी तकया हो िेरा अपमान
िुझसे ही दुतनया, िुझसे ही सूंसार
िू ही है नारी
कर अपनी शति से जगि का कल्याण
डरना मि, रुकना मि,
कहना मि, हारना मि,
करना िू उन सभी का सूंघार
तजसने भी तकया हो िेरा अपमान
रोका हो आगे बढ़ने से तजसने िुझे
आगे उसको बढ़ कर तदखाना
तजन ऊूं िाइयों से रखा िुझको परे
उन उूंिाइयों को छ ू कर तदखाना
आज जीना है िुझे अपने तलए
तमसाल बनना है िुझे असहाय शतियों क े तलए
क्योंतक नारी है िू
शति है िू, ज्वाला है िू
दुगात है िू
िुझसे ही दुतनया
िुझसे ही सूंसार
कर दुष्टों का श्रूंगार |
अचदचत राित
XI ‘A’