Page 16 - माँ की पर्णकुटी
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कार गल ह रो दग क ु मारजी भी इस काय म
को देखकर भाव वभोर हो गये I आपके श द
म " म हजारो काय म म गया हं, लाख क
ू
सं या म लोग मुझे देखने आते ह I पर तु
आज यह काय म उन सभी से भार है I 24
कै रट खरा, एक "अनोखी माँ" का उनके सौ से
अ धक ब च को देशभि त का पाठ पढ़ाने के
लये I म पांच गोल लगने के बाद भी,
शायद इन ब च से मलने के लये ह िज दा
बच पाया " I आप बार- बार ब च एवं ब तीबा सय
को िजंदगी भर अपनी " अनोखी माँ " को याद रखने एवं
उनका कहना मानने के लये े रत करते रहे I एक
ऐसी माँ जो अपना सुखदुःख भूलकर, गम , सद , बरसात
क चंता कये बना त दन ब ती म आकर नः वाथ
भाव से झु गी-झोप ड़य के ब च एवं उनके प रजन क
भलाई के लये पछले पांच साल से अ धक समय से
काय रत है I
काय म का ार भ ब च के देशभि त से भरपूर
सां क ृ तक काय म से हआ , िजसक तैया रयां क ृ त
ु
ने कराई I आपने ह मंच संचालन कया I काय म के
अंत म सीमाजी एवं डॉ. र ता ग़ु ताजी ने ी दग
क ु मारजी को भारत माता का मृ त च ह भ ट कया I
" अनोखी माँ -सीमाजी" ने अपने चय नत ब च को
कार गल ह रो से पु क ृ त कराया I काय म के अंत म
ब च ने अपने कार गल ह रो से अनेक न भी पूछे I
कार गल ह रो के श द म -" म कसी भी काय म म
एक घंट से अ धक नह ं रहता हं, पर तु इन ब च के
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लये अन ल मटेड समय है, जबतक ब चे न पूछगे ,
म जबाब देता रहंगा" I
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