Page 13 - माँ की पर्णकुटी
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अ धी माँ क वकलांग ब टया गौर का ववाह (29 अ ैल 2015)
गाय ी नगर व तार मानसरोवर के पीछे नाले पर ि थत वा मी क ब ती म एक
अंधी माँ रहती थी I आपक एक वकलांग पु ी थी I िजसका र ता तो
आपने तय कर दया था पर तु अपने दो पु के रहते हए भी आप
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चं तत रहती थी क ब टया के ववाह क
यव था कै से होगी य क दोन ह पु कचरा बीनकर
इक ठे कये गए पय से शराब पीकर धुत पड़े रहते थे I
इसी बीच वे सीमाजी के संपक म आयीं I उ ह ने इस माँ
क परेशानी को समझा I आपने समाज के गणमा य
स जन से स पक कर धन इक ठा कर उनक ब ची क
शाद धूमधाम से कराई I राम रतन डोई, हमांशु अि नहो ी,
सुशील वा ण य अजयजी, डॉ र ता ग़ु ता, ीमती नेहलता
वा ण य, हमांशु व ् अ य गणमा य स जन क महती भू मका रह I
यहां तक दुकानदार का भी वशेष सहयोग रहा I
ववाह के आयोजन क पूर यव था आपने अपने प रवार के साथ नभाईI बरा तय स हत सम त ब तीवा सय
एवं आगंतुक अ त थय क दावत क यव था रह I ब टया को वदाई के समय भ ट व प कपडे, पलंग, पंखे, सलाई
मशीन, सोने के आभूषण व बत न दए I