Page 10 - माँ की पर्णकुटी
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नव संव सर पर सामू हक महाआरती धा म क धा-ब च एवं प रजन को लगातार जयपुर
म ि थत व भ न मं दर जैसे -राममं दर, दुगा मं दर,
बरला मं दर, खोलके हनुमान बाबा का मं दर,
गो वंददेवजी का मं दर, काले हनुमानजी आ द व जयपुर
से बाहर खाट ू याम बाबा का मं दर एवं जीण माताजी
का मं दर आ द के दश न का काय म आयोिजत कया
जाता रहा है I ब ती म आज सभी धा म क यौहार जैसे
- होल , द पावल , मकरसं ां त, क ृ णज मा टमी, नव
वष तपदा, क नका पूजन, सामू हक क या पूजन आ द
धूमधाम से मनाये जा रहे ह I ब तीवा सय म , इस
सभी के प रणाम व प धा म क धा बढ़ रह है I
म हला जागृ त- "माँ क पण क ु ट " ने म हलाओं को अपने
अ धकार के त जागृत कया है I आज म हलाएं अपने
प त के दा पीने, अ धक संतान पैदा करना आ द का
वरोध करने लगी ह अपने ब च को भी पढ़ाने के लए
जा त हई ह I वे वयं साफ-सुथरा रहने व आस-पास ब ती क चय नत म हलाओं के साथ राजमं दर से मूवी देखने के बाद
ु
व छता रखने के लए के लए े रत हई ह I
ु
ब तीवा सय का सहयोग- "माँ क पण क ु ट " के मा यम
से आयोिजत सभी धा म क, सामािजक व रा य पव के
काय म म ब तीवा सय क न के वल स य भागीदार
रहती है बि क अपनी साम या नुसार आ थ क सहयोग करने
के लए यासरत रहते ह I ब ती म आयोिजत समरसता
भोज म भोजन बनाने का काय ब तीवासी ह करते ह I
ब तीवा सय के साथ मं दर तोड़ने का वरोध दश न
आ मस मान एवम आ म व वास- ारंभ म ईसाई
मशनर व अ य अनेक NGO ब ती म आकर ब तीवा सय
को भखा रय क तरह सलूक कर, पुराने कपडे, बचा-खुचा
भोजन आ द अ य सामन घर से मांगकर, ब ती म बांटकर
व फोटो/ व डओ ाफ कर, सोशल मी डया म इसका चार
कर अपने को दानवीर कण सा वत करते रहते थे I इन
तथाक थत समाजसेवक का मु य उ दे य झु गी-झोप ड़य
के नवा सय को भखार दखा- दखाकर समाज एवं सरकार
से धन इक ठा कर, उसका दु पयोग करना है I इन सभी
ब तीवा सय क भलाई से कोई मतलब नह ं रहता है आज
"माँ क पण क ु ट " पर त दन आने वाले ब चे व म हलाय
इस तरह के क ु -क ृ य का पूर शि त से वरोध करते ह I