Page 11 - माँ की पर्णकुटी
P. 11
न हे कदम मंिजल क ओर (झु गी–झोपड़ी श ण ई वर य काय )
इस पुनीत सेवा काय म के अंतग त झु गी झोप ड़य म रह रहे नध न ब च को व यालयी श ा के साथ जोड़ा जा
रहा है I छह वष पहले शु कया गया यह छोटा सा यास
उन ब च के लए था िजनके माता पता या तो कचरा
बीनने का काय करते ह या फर सफाई कम ह I क ु छ
ब चे तो वयं कचरा बीनने का काय करते थे I आज ये
ब चे अपनी झु गी झोपड़ी के पास ह ि थत पि लक क ू ल
म पढ़ने जा रहे ह I ब च क यू नफाम , कताब व क ू ल
फ स क यव था “न हे कदम मंिजल क ओर” (झु गी–
झोपड़ी श ण ई वर य काय ) के मा यम से समाज के
गणमा य प रवार के मा यम से ई वर य क ृ पा मानकर
बना दखावे क जा रह है I
वष 2012 म “माँ क पण क ु ट ”
इस काय के ार भ होने के पीछे एक दलच प घटना म
है I अजयजी एवं ीमती सीमाजी ने संघ ेरणा से जब
अ ैल 2012 से मानसरोवर म गाय ी नगर व तार के पीछे
ि थत नाले पर बसी ब ती म जाकर ब च को सं का रत
एवं सा र करना ार भ कया तो एक न बार बार मन
वष 2013 म “माँ क पण क ु ट ”
म उभरने लगा क या सा रता मा से इन ब च का
जीवन तर सुधर पायेगा ? या ये ब चे पीढ़ दर पीढ़
झुि गय म नवास करते रह गे ? या ये ब चे कचरा
बीनने या सफाई काय तक ह सी मत रह पाएंगे ?
वष 2014-15 म पि लक क ू ल म दा खल कराये गये ब चे
इन ब च के प रवार क सामािजक क ु तयाँ
,अंध व वास, बेटे क चाह म अ धक संतानो प ,
सामािजक तर के कारण ह न भावना, व छता का
अभाव आ द को दूर करने एवं ब च के जीवन तर को
सुधारने के लए के लए क ू ल श ा क आव यकता
महसूस क जाने लगी I इस सभी के प रणाम व प यह
सेवा काय वष 2013 से अि त व म आया I वष 2013 म
इन ब च का दा खला पि लक क ू ल म पहल से लेकर
पांचवी क ा तक कराया था I
माँ के घर पर ोजे टर से पढ़ते ह ु ए ब चे