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एवह  एवह  िीर  रे


          एदह एदह र्वीि िे

          र्वीितािं षर्वधेदह िे ।


          भाित्र्य िक्षणार्य


          जीर्वनिं प्रदेदह िे ।।

          त्र्विं दह मागवदशवकः


          त्र्विं दह देशिक्षकः


          त्र्विं दह शत्रुनाशकः

          कालनागतक्षकः ।।


          साहसी सदा भर्वेः


          र्वीितािं सदा भजेः


          भाितीर्यसिं्क ृ ततिं

          मानसे सदा थिेः ।।


          पदिं पदिं ममलच्िलेत्


          सोत्सहिं मनो भर्वेत्

          भाित्र्य गौिर्वार्य


          सर्ववदा जर्यो भर्वेत्  ।।


          एदह एदह र्वीि िे

          र्वीितािं षर्वधेदह िे ।


          भाित्र्य िक्षणार्य


          जीर्वनिं प्रदेदह िे ।।



                  C Ch ha an nd dr ri im ma a   C Ch ha ak kt tr ro ob bo or rt ti i

                                                           I IX X   - -   B B
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