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     नैि वलिष्टा न च कठिना
                सुिस सुबोधा , षर्वचर्वमनोज्ञा
                लमलता हृद्र्या , िमणीर्या ।
                अमृत  र्वाणी , सिं्क ृ त भािा
                नैर्व सक्लष्टा न ि कदठना ।। (१)
                                                                              कषर्व कोककला र्वाल्मीकक षर्विचिता
                                                                               िामार्यण  िमणीर्य  कथा ।
                                                                               अतीर्व सिला मधुि मन्जुला
                                                                                नैर्व सक्लष्टा न ि कदठना ।। (२)
                व्र्यास षर्विचिता गणेश मलणर्ता
                महाभाित पूण्र्य कथा ।
                कौिर्व पाण्डर्व सिंगि मचथता
                नैर्व सक्लष्टा न ि कदठना ।।(३)
                                                                                 क ु रुक्षेत्रे समिाङ्गणगीता
                                                                                 षर्वचर्वर्वसन्दता भगर्वद्गीता ।
                                                                                  अमृतमधुिा  कमवदीषपका
                                                                                  नैर्व सक्लष्टा न ि कदठना ।। ( ४)
                कषर्वक ु लगुरुनर्विसोन्मेिजा
                ऋतु – िघु – क ु मािकषर्वता ।
                षर्विम- शक ु न्तला – मालषर्वका                                      A As sf fi ia a   A Af fr ro oz z
                                                                                                 V VI II II I   - -   B B
                नैर्व सक्लष्टा न ि कदठना ।। (५)
     	
