Page 127 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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काम कर रहा था। मुझे कॉिपयर बेचने क े  िलए दरवाज़े खटखटाने क  ज़ रत नह  थी। अमीर

               डैडी क  सलाह म  मुझे  यादा समझदारी िदख रही थी। ज दी ही मेरी  ॉपट  से आने वाला
               क ै श लो इतना  यादा हो गया िक मेरी कं पनी ने मेरे िलए मेरी पहली कार ख़रीद दी। ज़ेरॉ स क े
               लोग  को लगा िक म  अपने कमीशन बेच रहा ह ँ। परंतु म  ऐसा नह  कर रहा था। म  अपने
               कमीशन को संपि य  वाले कॉलम म  िनवेश कर रहा था।

                     मेरा पैसा और  यादा पैसा कमाने क े  िलए कड़ी मेहनत कर रहा था। मेरी संपि  वाले
               कॉलम का हर डॉलर एक बिढ़या कम चारी था, िजसक  कड़ी मेहनत क े  कारण और  यादा
               कम चारी तैयार होते थे और वे सब िमलकर अपने बॉस को एक नई कार तोहफ़ े  क े   प म  दे देते

               थे और वह भी टै स चुकाने क े  पहले। म ने ज़ेरॉ स क े  िलए  यादा कड़ी मेहनत करना शु  कर
               िदया। मेरी योजना सही तरह से चल रही थी और मेरी कार इसका जीता-जागता सबूत थी।

                     अपने अमीर डैडी से सीखे गए सबक़ क े  कारण म  उस 'चूहा दौड़ क े  िमथक ' से बाहर
               िनकलने म  सफल हो सका था और कम उ  म  ही एक िनयो ा बन गया था। यह पैसे क  समझ
               से ही संभव ह आ था। इस िव ीय  ान क े  िबना, िजसे म  फ़ायन िशयल आई. यू. कह ँगा, आिथ क
                वतं ता क  मेरी राह म  बह त  यादा मुि कल  आई होत । अब म  फ़ायन िशयल सेिमनार  म  दूसर
               को इस आशा क े  साथ िसखाता ह ँ तािक म  उनक े  साथ अपना  ान बाँट सक ूँ । जब भी म  ले चर

               देता ह ँ तो म  लोग  को यह याद िदलाता ह ँ िक फ़ायन िशयल आई. यू. िवशेष ता क े  चार बड़े
                े   से आने वाले  ान से बनता है।

                     नंबर एक है अकाउंिटंग। िजसे म  फ़ायन िशयल सा रता कहता ह ँ। अगर आप सा ा य
               बनाना चाहते ह  तो यह बह त मह वपूण  द ता है। आप िजतने  यादा धन क े  िलए िज़ मेदार ह गे,
               उतनी ही  यादा सू मता क  ज़ रत होगी नह  तो आपका सा ा य ताश क े  प   क े  महल क
               तरह ढह जाएगा। यह बाएँ मि त क का पहलू है िजसम  वण न या सू मता ज़ री है। फ़ायन िशयल
               सा रता वह यो यता है िजसक े  सहारे फ़ायन िशयल  टेटम ट् स को पड़ा और समझा जा सकता है।

               इस यो यता से आप िकसी भी  यवसाय क  कमज़ो रय  और मज़बूितय  को पहचान सकते ह ।

                     नंबर दो है िनवेश। िजसे म  पैसे से पैसे बनाने का िव ान कहता ह ँ। इसम  तकनीक ,
               रणनीितय  और फ़ॉमू ल  क  ज़ रत होती है। यह मि त क का दायाँ पहलू है यानी रचना मक
               पहलू।

                     नंबर तीन है बाज़ार क  समझ। माँग और पूित  का िव ान। बाज़ार क े  तकनीक  पहलुओं
               को जानने क  ज़ रत है जो िक भावनाओं  ारासंचािलत होते ह । 1996 म  ि समस क े  दौरान
               िटकल मी ए मो डॉल का करण भी तकनीक  या भावनाओं  ारा संचािलत बाज़ार का उदाहरण
               है। बाज़ार का दूसरा त व िनवेश क  'मूलभूत' या आिथ क समझ है।  या िकसी िनवेश म

               समझदारी है या वत मान बाज़ार क  प रि थितय  क े  िहसाब से ऐसा करना नासमझी है?

                     कई लोग यह सोचते ह  िक बाज़ार को समझना या िनवेश क  अवधारणाएँ ब च  को समझ
               म  नह  आएँगी  य िक ये जिटल होती ह । वे यह नह  देख पाते िक ब चे इन िवषय  को अनुभूित
               से समझ लेते ह । जो लोग ए मो डॉल से प रिचत नह  ह गे, उनक े  िलए यह एक सीसॅम   ीट
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