Page 144 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
P. 144
यही िबल गेट् स ने भी िकया। यह मौक़ा भी बाज़ार ने िदया था िक 20,000 डॉलर म
कोई मकान ख़रीदकर उसे 60,000 डॉलर म बेच िदया जाए, जबिक उसक असली
क़ मत 75,000 डॉलर थी। कोई ख़रीद रहा था, कोई बेच रहा था।
4. क़ानून। अकाउंिटंग, कॉरपोरेट, टेट और नेशनल क़ानून और नीितय क े बारे म
जाग कता। म िनयम क े भीतर रहकर खेलने क सलाह देता ह ँ।
अगर आप पैसे का आिव कार करना चाहते ह तो आपम यह मूलभूत आधारिशला होनी
चािहए या इन द ताओं का सम वय होना चािहए, चाहे आप ऐसा छोटे घर, बड़े अपाट म ट,
कं पिनयाँ, टॉक, बॉ ड, यूचुअल फ़ं ड, बह मू य धातुएँ, बेसबॉल काड ख़रीदकर कर या इसी
िक़ म का कोई दूसरा काम कर ।
1996 तक, रयल ए टेट माक ट सुिख़ यो म था और हर कोई इसम जा रहा था। टॉक
माक ट म भी बूम हो रहा था और हर कोई उसम जा रहा था। अमे रका क अथ यव था अपने पैर
पर खड़ी हो रही थी। म ने 1996 म बेचना शु कर िदया और म अब पे , नॉव , मलेिशया और
िफ़िलपी स क या ा कर रहा था। िनवेश बदल गए थे। जहाँ तक ख़रीदारी का सवाल था, अब
हम रयल ए टेट बाज़ार से बाहर थे। अब म अपनी संपि वाले कॉलम क े भीतर आँकड़ो को बढ़ते
देखता ह ँ और शायद इस साल क े आिख़र म बेचना शु कर दूँगा। यह काँ ेस ारा पा रत िकए
जाने वाले क़ानूनी प रवत न पर िनभ र करता है। म आशा करता ह ँ िक छह छोटे घर क े सौद को
बेच दूँगा और 40, 000 डॉलर क े नोट को धन म बदल लूँगा। मुझे अपने अकाउंट ट को बुलाकर
उसे कहना पड़ेगा िक वह इतनी रक़म क े िलए तैयार हो जाए और इसे टै स से बचाने क े िलए
तरीक़ े खोजे।
म िसफ़ आपको इतनी सी बात बताना चाहता ह ँ िक िनवेश आते-जाते रहते ह , माक ट
घटता-बढ़ता रहता है, अथ यव थाएँ सुधरती-िबगड़ती रहती ह । दुिनया आपको हर िदन िज़ं दगी
क े अनूठे अवसर देती रहती है - आपक िज़ं दगी क े हर िदन - परंतु ाय: हम उ ह देख नह पाते
ह । लेिकन वे वहाँ होते ह । और दुिनया िजतनी यादा बदलती है और टे नोलॉजी िजतनी यादा
बदलती है, आपक े और आपक े प रवार क े िलए थायी आिथ क सुर ा क े िलए उतने ही यादा
मौक े होते ह ।
तो अपनी फ़ायन िशयल बुि को िवकिसत करने का झंझट य उठाया जाए? एक बार
िफर म यही कह ँगा िक आप ही इसका जवाब दे सकते ह । म जानता ह ँ िक म य इसे सीखता
और िवकिसत करता ह ँ। म ऐसा इसिलए करता ह ँ य िक मुझे पता है िक प रवत न हो रहे ह और
होने वाले ह । म प रवत न का वागत करना चाहता ह ँ और अतीत से िचपक े नह रहना चाहता
ह ँ। म जानता ह ँ िक माक ट म वार आएगा और माक ट म भाटा भी आएगा। म लगातार अपनी
फ़ायन िशयल बुि को िवकिसत करना चाहता ह ँ य िक माक ट म हर प रवत न पर, क ु छ लोग
अपनी नौक रय क े िलए अपने घुटने टेककर भीख माँग गे। इसी समय, कई दूसरे लोग िज़ंदगी
ारा िदए गए न बुओं को लेकर उ ह करोड़ म बदल ल गे- और हम यह नह भूलना चािहए िक
हम कभी-कभार िज़ंदगी न बू दे देती है। यही फ़ायन िशयल बुि है।