Page 171 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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परंतु अगर आपक े  पास आज़ादी क े  सपने ह  - चूहा दौड़ से बाहर िनकलने का इरादा है - तो

               आपको ख़ुद से यह सवाल पूछना चािहए, “म  िकस तरह असफलता का सामना क  ँ गा?” अगर
               असफलता से आपको जीतने क   ेरणा िमलती है तो शायद आपको कोिशश करनी चािहए- परंतु
               क े वल शायद। अगर असफलता आपको कमज़ोर बना देती है या आप पर मानिसक तनाव डालती
               है - उस िबगड़े नवाब क  तरह जो हर बार कोई चीज़ ग़लत होने पर मुक़दमा दायर करने क े  िलए
               वक ल को ढूँढ़ता है - तो सुरि त खेल ही खेल । अपनी िदन क  नौकरी को बनाए रख । बॉ ड या
                यूचुअल फ़ं ड ख़रीद । परंतु याद रख  िक इनम  भी ख़तरा होता है, हालाँिक तुलना मक  प से वे
                यादा सुरि त होते ह ।


                     म  यह सब इसिलए कह रहा ह ँ और टै सास व   ै न टाक   टन का िज़  कर रहा ह ँ  य िक
               संपि  वाले कॉलम को बढ़ाना आसान है। यह एक कम बुि  का खेल है। इसम  बह त  यादा
               िश ा क  ज़ रत नह  है। पाँचवी क ा का गिणत का िव ाथ  भी यह कर सकता है। परंतु संपि
               वाले कॉलम को तेज़ी से बढ़ाना बह त  यादा बुि  का खेल है। इसम  िह मत, धीरज और
               असफलता झेलने क  ताक़त क  ज़ रत है। हारने वाले असफलता से बचते ह । जबिक असफलता
               हार को जीत म  भी बदल सकती है। अलेमो को याद रख ।

                     कारण नंबर दो। सनक पन का सामना करना। “आसमान िगर रहा है। आसमान िगर रहा

               है।” हमम  से  यादातर लोग उस छोटे मुग  क  कहानी जानते ह  जो आसमान िगरने क  चेतावनी
               देता ह आ अपने दड़बे म  दौड़ रहा था। हम इस तरह क े  बह त से लोग  को जानते ह । परंतु हम
               सबक े  भीतर एक ऐसा ही छोटा मुगा  होता है।

                     और जैसा म ने पहले ही कहा है, सनक   यि  दरअसल छोटे मुग  क  तरह नह  है। हम
               सभी म  एक छोटा मुगा  होता है जो तब उभरकर सामने आता है जब हमारे िवचार  पर डर और
               शंका हावी हो जाते ह ।

                     हम सभी क े  मन म  शंकाएँ होती ह । “म   माट  नह  ह ँ।” “म  पया   अ छा नह  ह ँ।” “अमुक

                यि  मुझसे बेहतर है।” या हमारी शंकाएँ अ सर हम  िनि  य कर देती ह । हम “ या होगा?”
               वाला खेल खेलते ह । “ या होगा अगर मेरे िनवेश करने क े  बाद अथ  यव था धराशायी हो
               जाए?” या “ या होगा अगर मेरा िनयं ण ख़ म हो जाए और म  पैसा वापस न चुका सक ूँ ?”
               “ या होगा अगर घटनाएँ मेरी योजना क े  िहसाब से न ह ?” या हमारे कई ऐसे दो त या ि यजन
               भी हो सकते ह  जो हम  अपनी कमज़ो रय  क  याद िदला सकते ह  चाहे हमने उनक  सलाह माँगी
               हो या नह । वे अ सर कहते ह , “तु ह  ऐसा  य  लगता है िक तुम यह कर सकते हो? '' या ''

               अगर यह इतना ही बिढ़या होता तो हर कोई ऐसा ही  य  नह  कर रहा है? '' या '' यह कभी
               सफल हो ही नह  सकता । तु ह  पता ही नह  है िक तुम िकस बारे म  बात कर रहे हो? '' शंका क े
               यह तीर कई बार इतने तीखे होते ह  िक हम काम करना शु  ही नह  कर पाते । हमारे िदल म
               डर बैठ जाता है । कई बार हम सो भी नह  पाते । हम आगे बढ़ने म  असफल होते ह  । तो हम
               सुरि त चीज  क े  साथ ही बने रहते ह  और अवसर हमारे पास से होकर गुजर जाते ह  । हम
               िजंदगी को अपने पास से गुजरते ह ए देखते रहते ह  और हम अपने शरीर म  जकड़न क े  कारण
               िबना िहले-ड ु ले बैठे रहते ह  । हमने इसे अपनी िजंदगी म  कभी न कभी इस तरह से महसूस िकया
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