Page 173 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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कहा िक वह  यादा जाँच-पड़ताल करना चाहता था ।

                     फ िन स म   रयल ए टेट बाजार क े  िदन पलटे और 1994 म  उस छोटे से यूिनट से 1 ०००
               डॉलर  ितमाह िकराया िमल रहा था- जाड़े क े  पीक सीजन म  2 5०० डॉलर  ित माह । 1995 म

               यूिनट क  क मत बढ ्  कर 95 ००० डॉलर हो गई थी ।  रचड  को इतना ही करना था िक वह
               शु आत म  5 ००० डॉलर चुका दे और चूहा दौड़ से बाहर िनकलने क   ि या शु  हो जाती ।
               आज भी वह क ु छ नह  कर पाया है । और फ िन स क े  सौदे जैसे मौक े  अब भी मौजूद ह ; बस
               आपको उ ह  क ु छ  यादा गौर से देखना पड़ेगा ।

                      रचड  क े  पीछे हटने से मुझे ता तुब नह  ह आ था । इसे ' खरीदार का पछतावा ' कहा जाता
               है और यह हम सबको  भािवत करता है । यही शंकाएँ हम  ले डूबती ह  । छोटा मुगा  जीत जाता है

               और हम आजादी का मौका गँवा देते ह  ।

                     दूसरे उदाहरण म  म  सी .डी. क े  बजाय टै स िलएन सिटिफक े ट् स म  अपनी संपि  का क ु छ
               िह सा रखता ह ँ । म  अपने पैसे पर 16 फ सदी  ित वष  कमाता ह ँ जो ब क   ारा िदए जाने वाले 5
               फ सदी से िनि त  प से काफ   यादा है । यह  माणप   रयल ए टेट  ारा सुरि त होते ह  और
               रा य क े  कानून  ारा संरि त होते ह  जो िनि त  प से  यादातर ब क  से  यादा बेहतर होते ह  ।
               िजस आधार पर उ ह  खुरीदा जाता है वह भी काफ  सुरि तn फॉमू ला है । उनम  िसफ    एक
               िद कत यह होती है िक उ ह  भुनाया नह  जा सकता । तो म  उ ह  2 से 7 साल क  सी .डी. मान

               लेता ह ँ । हर बार जब भी म  िकसी को बताता ह ँ खासकर उसे िजसने अपना पैसा सी .डी. म  रखा
               ह आ है िक म  अपने पैसे को इस तरह रखता ह ँ तो वे मुझे बताते ह  िक यह खतरनाक है । वे मुझे
               बताते ह  िक मुझे ऐसा नह  करना चािहए । म  उनसे पूछता ह ँ िक उ ह  यह  ान कहाँ से िमला तो
               वे कहते ह  िक उनक े  दो त या िनवेश क  पि का से । उ ह ने ऐसा कभी नह  िकया और वे दूसरे
                यि  को जो ऐसा कर रहा है यह बता रहे ह  िक उसे ऐसा  य  नह  करना चािहए । म  िजस
               सबसे कम आमदनी क  उ मीद करता ह ँ वह 16 फ सदी होती है परंतु िजन लोग  क े  मन म

               शंका होती है वे क े वल 5 फ सदी से ही संतु  हो जाते ह  । शंका बह त महँगी सािबत होती है ।

                     मेरा मानना है िक यही संदेह और सनक पन  यादातर लोग  को गरीव बनाए रखता है
               और उनसे सुरि त खेल िखलवाता है । असली दुिनया इंतजार कर रही है िक आप अमीर बन  ।
               क े वल आपक े  संदेह ही आपको गरीब बनाए ह ए ह  । जैसा म ने कहा चूहा दौड़ से बाहर िनकलना
               तकनीक   प से आसान है । इसम   यादा िश ा क  ज रत नह  होती परंतु इन संदेह  क े  कारण
                यादातर लोग इससे बाहर नह  िनकल पाते ।

                     '' शंकालु लोग कभी नह  जीत पाते '' अमीर डैडी का कहना था । '' शंका और डर क े
               कारण  यि  संदेहवादी बन जाता है । शंकालु  यि  आलोचना करते ह  जबिक जीतने वाले

               लोग िव ेषण करते ह  '' यह उनक  एक और पसंदीदा कहावत थी । अमीर डैडी ने यह  प
               िकया िक आलोचना से िदमाग बँध जाता है जबिक िव ेषण से ◌ाँख  खुल जाती ह  । िव ेषण से
               जीतने वाले यह देख सकते ह  िक आलोचक अंधे ह  और वे उन मौक  को भी देख सकते ह  जो
               और िकसी को नह  िदख पाते ह  । और दूसरे लोग िजन मौक  को नह  देख पाते उ ह  देखने क
                मता िकसी भी तरह क  सफलता क  क ुं जी है ।
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