Page 178 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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मेरी समझ से आज सम या यह है िक करोड़ लोग अपने लालच को लेकर अपराधबोध से
त ह । यह उनक े बचपन से बुढ़ापे तक चलता है। वे िज़ंदगी म िमलने वाली अ छी-अ छी चीज़
चाहते ह । यादातर लोग क े अवचेतन म यह िवचार मौजूद रहता है, “आपको यह नह िमल
सकत ,” या “आप इसे कभी नह ख़रीद पाएँगे।”
जब म ने चूहा दौड़ से बाहर िनकलने का फ़ ै सला िकया, तो मेरे िदमाग़ म एक सवाल आया।
“म िकस तरह इस चूहा दौड़ से बाहर िनकल सकता ह ँ, तािक मुझे दुबारा काम न करना पड़े?”
और मेरे िदमाग़ म जवाब और सुझाव अपने आप आ गए। सबसे मुि कल चीज़ थी मेरे असली
माता-िपता क सीख िक “हम इसे नह ख़रीद सकते।” या “क े वल अपने बारे म ही मत सोचो।”
या “तुम दूसर क े बारे म य नह सोचते?” और इसी तरह क े श द जो मेरे लालच को दबाने क े
िलए मुझम अपराधबोध भरते थे।
तो आप िकस तरह अपने आलस से जीत सकते ह ? इसका जवाब है थोड़े से लालच से। यह
WII-FM रेिडयो टेशन है िजसका पूरा अथ है “What’s In It-For Me?” (इसम मेरे िलए
या है?) यि को बैठकर पूछना चािहए, “अगर म व थ, से सी, और आकष क ह ँ तो इसम
मेरे िलए या है?” या “मेरी िजंदगी क ै सी होगी अगर मुझे िफर कभी काम न करना पड़े?” या
“म या क ँ गा अगर मुझे मनचाहा पैसा िमल जाए?” इस थोड़े से लालच क े िबना, क ु छ बेहतर
हािसल करने क इ छा क े िबना गित नह हो सकती। हमारी दुिनया इसिलए तर क़ करती जा
रही है य िक हम सभी एक बेहतर िज़ंदगी जीना चाहते ह । हम क ु छ बेहतर चाहते ह इसीिलए
नए आिव कार होते ह । हम क ू ल जाते ह और मेहनत से पढ़ते ह य िक हम क ु छ बेहतर चाहते
ह । इसिलए जब भी आप िकसी ऐसी चीज से कतरा रहे ह , जो आपक े िहसाब से आपको करनी
चािहए तो आपको खुद से क े वल यही पूछना चािहए िक ''इसम मेरे िलए या है? '' थोड़े लालची
बन । यह आलस का सबसे बिढ़या इलाज है ।
परंतु बह त यादा लालच भी अ छा नह होता, य िक हर चीज़ क अित बुरी होती है । परंतु
वह याद रखो जो वॉल ीट िफ़ म म माइकल डगलस ने कहा था । '' लालच अ छा होता है । ''
अमीर डैडी इसे अलग तरह से कहते थे, '' अपराधबोध लालच से यादा बुरा होता है । य िक
अपराधबोध क े कारण शरीर म से आ मा िनकल जाती है । '' और मेरे िलए एलीनोर ज़वे ट क
कहावत सबसे अ छी है ''वही करो जो तु ह िदल से अ छा लगता है- य िक तु हारी हर बात म
आलोचना होगी । अगर तुम कोई काम करोगे तो भी तु हारी आलोचना होगी और तुम कोई काम
नह करोगे तो भी तु हारी आलोचना होगी । ''
कारण नंबर चार । आदत । हमारी िज़ंदगी पर हमारी िश ा से यादा असर हमारी आदत
का पड़ता है । अरनॉ ड ाज़ नेगर क िफ म ' कॉनन ' देखने क े बाद मेरे एक दो त ने कहा ''म
चाहता ह ँ िक मेरी बॉडी ाज़ नेगर जैसी हो । '' यादातर सािथय ने सहमित म िसर िहला िदया ।
'' म ने तो यह सुना है िक एक समय वह वा तव म दुबला और कमज़ोर सा था '' दूसरे िम
ने जोड़ा ।
''हाँ, म ने भी यह सुना है, '' एक और दो त ने कहा । ''म ने सुना है िक वह हर रोज़ िजम