Page 180 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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'' अ छा आप ऐसा  य  करते ह ? '' ''  ेरणा '' अमीर डैडी ने कहा । '' अगर म  उनका

               भुगतान नह  क  ँ  तो कौन  यादा ज़ोर से िशकायत करेगा- म  या मेरे लेनदार । ''
                     '' आपक े  बजाय आपक े  लेनदार  यादा ज़ोर से िच लाएंगे '' म ने  प  िवक प को चुनते

               ह ए कहा । '' अगर आप ख़ुद को पैसा नह  द गे तो आप क ु छ भी नह  कह गे । ''

                     ''तो अब तुम देख सकते हो िक खुद को पैसे देने क े  बाद मेरे पास टै स चुकाने और दूसरे
               लेनदार  को पैसे देने का इतना  यादा दबाव होता है िक मुझे आमदनी क े  दूसरे रा ते खोजने ही
               पड़ते ह  । पैसे चुकाने का दबाव मेरी  ेरणा बन जाता है । म ने अित र  काम िकया है, दूसरी
               कं पिनयाँ शु  क  ह ,  टॉक माक  ट म  शेयर ख़रीदे और बेचे ह , हर तरह क े  काम िसफ़    इसिलए
               िकए ह  तािक यह लोग मुझ पर न िच लाएँ । इस दबाव क े  कारण म ने  यादा कड़ी मेहनत क  है

               और म  सोचने पर मजबूर ह आ ह ँ । क ु ल िमलाकर इसने मुझे पैसे क े  मामले म   यादा  माट  और
               फ ु त ला बना िदया है । अगर म  ख़ुद को सबसे आिख़र म  पैसे देता तो मुझ पर कोई दबाव नह
               पड़ता परंतु मेरे पास कभी पैसा भी नह  होता । ''

                     '' तो सरकार या दूसरे लोग  को पैसे चुकाने का दबाव आपक   ेरणा बन जाता है? ''

                     ''िबलक ु ल ठीक, '' अमीर डैडी ने कहा । ''देखो, सरकारी पैसा वसूलने वाले लोग बह त
               डरावने होते ह  । वैसे सामा य तौर पर पैसा वसूलने वाले सभी लोग डरावने होते ह  ।  यादातर
               लोग इनसे डर जाते ह  । वे इन लोग  को पैसा दे देते ह  और ख़ुद को कभी पैसा नह  देते । तुमने

               उस 96 पाउंड क े  कमज़ोर आदमी क  कहानी तो सुनी होगी िजसक े  चेहरे पर लोग बालू उछालते
               ह ? ''

                     म ने िसर िहलाया । ''म ने कॉिम स म  वेटि ़ लि टंग और बॉडीिबि डंग क े  बारे म  िदया गया
               यह िव ापन देखा है । ''

                     ''तो  यादातर लोग इन डरावने पैसे वसूलने वाल  को अपने चेहरे पर बालू उछालने देते ह  ।
               म ने डरावने लेनदार  क े  डर का इ तेमाल ख़ुद को  यादा मजबूत बनाने क े  िलए िकया है । बाक
               लोग  यादा कमजोर हो जाते ह  । ख़ुद को यह सोचने क े  िलए मजबूर करना िक अित र  धन
               कहाँ से आएगा िजम जाने क  तरह है और वहाँ वज़न उठाने क  तरह है । म  अपने िदमाग़ क

               मांसपेिशय  से िजतना काम करता ह ँ, म  उतना ही  यादा मजबूत होता जाता ह ँ । अब म  इन
               डरावने लेनदार  से ज़रा भी नह  डरता ह ँ । ''

                     मुझे अमीर डैडी क  बात  पसंद आ रही थ , ''तो अगर म  पहले ख़ुद को पैसे देता ह ँ, तो म
               आिथ क और मानिसक  ि  से  यादा मजबूत हो सकता ह ँ । ''

                     अमीर डैडी ने सहमित म  िसर िहलाया ।

                     '' और अगर म  ख़ुद को सबसे आिख़र म  पैसे देता ह ँ या िबलक ु ल भी पैसे नह  देता ह ँ, तो म
               कमज़ोर हो जाता ह ँ । इसिलए बॉस, मैनेजर, टै स वसूलने वाले, िबल वसूलने वाले और मकान

               मािलक जैसे लोग मुझे िज़ंदगी भर इधर-उधर ठोकर मारते रह गे । िसफ़    इसिलए  य िक पैसे क े
               बारे म  मेरी आदत  अ छी नह  ह  । ''
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