Page 176 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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कारण नंबर तीन । आल य । य त लोग अ सर बह त आलसी होते ह । हम सभी ने उस
यवसायी क कहािनयाँ पड़ी ह जो पैसे कमाने क े िलए कड़ी मेहनत करता है । वह अपनी प नी
और ब च क सुख-सुिवधा क े िलए काफ़ मेहनत करता है । वह ऑिफ़स म बह त देर तक काम
करता है और स ाहांत म भी ऑिफ़स क े काम को घर पर ले आता है । एक िदन वह जब घर
लौटता है तो उसे घर सूना िमलता है । उसक प नी अपने ब च क े साथ घर छोड़कर चली जाती
है । उसे पता था िक उसक े और उसक प नी क े बीच म मतभेद ह , परंतु उस र ते को यादा
मज़बूत बनाने क े बजाय वह काम म ही य त बना रहा । िनराश होकर वह अपने काम क े ित
लापरवाह हो जाता है और उसक े काम पर इतना यादा असर पड़ता है िक उसक नौकरी चली
जाती है ।
आज, म बह धा ऐसे लोग से िमलता ह ँ जो इतने य त ह िक उ ह अपनी संपि क परवाह
करने क भी िफ़ नह है । और ऐसे भी लोग ह जो इतने यादा य त ह िक उ ह अपने
वा य क परवाह ही नह है । दोन का कारण एक ही है । वे य त ह और वे य त बने रहना
चाहते ह य िक वे िकसी चीज़ का सामना नह करना चाहते । उ ह यह बताने क ज़ रत नह
है । अंदर से वे ख़ुद जानते ह । वा तव म , अगर आप उ ह याद िदलाएँ तो वे ग़ु सा हो जाते ह या
िचढ़ जाते ह ।
अगर वे नौकरी म या ब च क े साथ य त नह ह तो वे टीवी देखने, मछली पकड़ने गो फ़
खेलने या शॉिपंग करने म य त होते ह । परंतु अंदर से वे जानते ह िक वे िकसी मह वपूण चीज़
का सामना करने से कतरा रहे ह । यह आलस का सबसे आम प है । यहाँ आलस का मतलब है
य त बने रहना ।
तो आलस का इलाज या है? जवाब है थोड़ा सा लालच ।
हमम से यादातर लोग का लालन-पालन इस तरह से िकया गया है िक हम लालच या
इ छा को बुरा समझते ह । मेरी माँ कहा करती थ ''लालची लोग बुरे लोग होते ह । '' परंतु हमम
से हर एक अ छी चीज़े ँ नई चीज़ रोमांचक चीज़ हािसल करना चाहता है । तो उस इ छा क
भावना को क़ाबू म रखने क े िलए ाय: माँ-बाप इ छा को अपराधबोध से जोड़ देते ह ।
''तुम हमेशा अपने बारे म ही सोचते हो । या तु ह नह मालूम िक तु हारे भाई-बहन भी ह ?
'' यह मेरी माँ क फ़ े व रट कहावत थी । या ''तुम या ख़रीदना चाहते हो? '' मेरे डैडी क फ़ े व रट
कहावत थी । '' तुम ऐसा सोचते हो जैसे हमारे पास बह त पैसा है? या तुम सोचते हो िक पैसा पेड़
पर लगता है? हम अमीर नह ह , तुम तो जानते ही हो । ''
मुझ पर श द का तो उतना असर नह पड़ा,परंतु उन श द म जो ग़ु सा और अपराधबोध
का सि म ण था उसका मुझ पर बह त यादा असर ह आ ।
या इसक े िवपरीत अपराधबोध का जाल यह था, ''म तु हारे िलए यह ख़रीदकर अपने जीवन
का बिलदान दे रहा ह ँ । म तु हारे िलए यह इसिलए ख़रीद रहा ह ँ य िक जब म छोटा था तो मेरे
माँ-बाप मुझे यह ख़रीदकर नह दे पाए थे । '' मेरा एक पड़ोसी है जो पूरी तरह दीवािलया है, परंतु
वह अपनी कार को अपने गैरेज म पाक नह कर सकता । गैरेज म उसक े ब च क े िखलौने भरे