Page 185 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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अपने समय और अपनी िज़ंदगी पर िनयं ण चाहता ह ँ। म  चाहता ह ँ िक पैसा मेरे िलए काम करे।

                     यह मेरे गहरे छ ु पे ह ए भावना मक कारण ह । आपक े  पास  या कारण ह ? अगर वे पया
               ताक़तवर नह  ह  तो रा ते म  आगे आने वाली हक़ क़त आपक े  कारण  पर हावी हो जाएगी। म ने

               कई बार पैसा गँवाया है और कई बार िफर से शु  िकया है परंतु चूँिक मेरे पास गहरे भावना मक
               कारण थे, इसिलए म  हर बार उठ खड़ा ह आ ह ँ और आगे बढ़ चला ह ँ। म  40 साल क  उ  तक
               आज़ाद होना चाहता था, परंतु इसम  मुझे सात साल  यादा लग गए और म  आिख़रकार 47 साल
               क  उ  म  आज़ाद हो सका और बीच म  मुझे कई सीखने वाले अनुभव िमले।

                     जैसा म ने कहा है, काश म  कह सकता िक यह आसान था। यह िबलक ु ल आसान नह  था,
               परंतु यह किठन भी नह  था। लेिकन िबना दमदार कारण या ल य क े  िज़ंदगी म  हर चीज किठन

               होती है।
               अगर आपक े  पास कोई दमदार कारण नह  है, तो आगे पढ़ने म  कोई समझदारी नह  है।
               इसमे बह त  यादा मेहनत लगेगी।



                     2. म  हर िदन िवक प चुनता ह ँ: िवक प चुनने क  ताक़त। यह मु य कारण होता है िक
                         लोग एक आजाद देश म  रहना चाहते ह । हम  चुनने का अिधकार चािहए।

                     आिथ क  प से, जब हमारे हाथ म  एक भी डॉलर आता है तो यह हमारे हाथ म  होता है िक
               हम भिव य म  अमीर ग़रीब या म य वग य बनने का िवक प चुन । हमारे ख़च  करने क  आदत

               बताती ह  िक हम कौन ह । ग़रीब लोग  क  ख़च  करने क  आदत  ग़रीबी क  होती ह ।
                     बचपन म  मुझे यह फ़ायदा िमला िक मुझे लगातार मोनोपॉली खेलना बह त पसंद था। िकसी

               ने मुझे यह नह  बताया था िक मोनोपॉली क े वल ब च  क े  िलए है, इसिलए बड़े होने क े  बाद भी म
               इसे खेलता रहा। मेरे पास एक अमीर डैडी भी थे जो मुझे संपि  और दािय व क े  फ़क़    को समझाते
               रहे। तो बह त समय पहले, अपने बचपन म  ही म ने अमीर बनने का िवक प चुना और म  जानता
               था िक मुझे क े वल इतना ही करना था िक संपि य , असली संपि य  को इकट् ठा करना था। मेरे
               सबसे अ छे दो त माइक को संपि  वाला कॉलम िवरासत म  िमला था परंतु उसे इसे बनाए

               रखना सीखना था। कई अमीर प रवार अपनी संपि य  को अगली पीढ़ी म  िसफ़    इसिलए खो देते
               ह   य िक उन संपि य  क  देखरेख करने क े  िलए िकसी को  िश ण नह  िदया जाता।

                      यादातर लोग अमीर न बनने का िवक प चुनते ह । 90 फ़ सदी लोग  क े  िलए अमीर
               बनना ''बह त झंझट का काम'' है । तो वे इस तरह क  कहावत  ईजाद कर लेते ह , ''पैसे म  मेरी
               कोई  िच नह  है।'' या ''म  कभी अमीर नह  बनूँगा।'' या ''मुझे िचंता करने क  कोई ज़ रत नह
               है, अभी तो म  जवान ह ँ।'' या ''मेरे पित या मेरी प नी फ़ायन िशयल पहलू को सँभालते ह  या
               सँभालती ह । ' इन व  य  क े  साथ सम या यह है िक यह बोलने वाले से दो चीज  लूट लेते ह :

               एक तो है समय जो आपक  सवा िधक क़ मती संपि  है और दूसरी िश ा। िसफ    इसिलए  य िक
               आपक े  पास पैसा नह  है, आप यह बहाना नह  बना सकते िक आप इस कारण नह  सीख पाए।
               परंतु यह िवक प हम हर रोज़ चुनते ह  यह िवक प िक हम अपने समय, अपने पैसे और अपनी
               िश ा क े  साथ हर िदन  या करते ह । यही िवक प चुनने क  ताक़त है। हम सभी क े  पास िवक प
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