Page 186 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
P. 186

होते ह । म  अमीर बनने का िवक प चुनता ह ँ और म  यह िवक प हर रोज चुनता ह ँ।

                     पहले िश ा म  िनवेश कर : वा तव म  आपक े  पास जो इकलौती असली संपि  है वह है

               आपका िदमाग़ जो आपका सबसे शि शाली यं  है। जैसा म ने िवक प क  ताक़त क े  बारे म  कहा
               है पया   बड़े हो जाने क े  बाद हमम  से हर एक क े  पास यह िवक प मौजूद होता है िक हम अपने
               िदमाग़ म   या रखते ह । आप सारा िदन एम .टीवी देख सकते ह  या गो फ मै जी स पढ़ सकते ह
               या िसरेिम स क   लास म  जा सकते ह  फ़ायन िशयल  लािनंग क   लास म  जा सकते ह ।
               िवक प आप चुनते ह ।  यादातर लोग बस िनवेश खरीदते ह  परंतु इसक े  पहले िनवेश क े  बारे म
                ान हािसल करने क े  िलए ज़रा भी पैसा ख़च  नह  करते।

                     मेरी एक िम  ह  जो एक अमीर मिहला ह । अभी हाल म  उनक े  घर पर चोरी हो गई। चोर

               उनक े  घर से टीवी और वी .सी .आर. ले गए और िकताब  जैसी क  तैसी छोड़ गए। और हम सभी
               क े  पास इसी तरह क े  िवक प मौजूद होते ह । एक बार िफर दोहरा दूँ, 90 फ़ सदी लोग टीवी सेट
               ख़रीदते ह  और क े वल 10 फ़ सदी लोग िबज़नेस पर पु तक    या िनवेश पर टेप ख़रीदते ह ।

                     और म   या करता ह ँ? म  सेिमनार म  जाता ह ँ। म  ऐसे सेिमनार  को पसंद करता ह ँ जो कम
               से कम दो िदन लंबे ह   य िक म  िवषय म  पूरी तरह डूब जाना चाहता ह ँ। 1973 म , म  टीवी देख
               रहा था और एक  यि  मेरे घर आया। वह तीन िदन क े  सेिमनार का िव ापन कर रहा था िक
               िकस तरह पैसा न होते ह ए भी  रयल ए टेट ख़रीदी जा सकती है। म ने 385 डॉलर ख़च  िकए

               और उस सेिमनार क  िश ा मेरे इतने काम आई िक म ने उससे कम से कम 20 लाख डॉलर
               कमाए ह गे। परंतु इससे भी  यादा मह वपूण  यह है िक इससे मुझे नया जीवन िमला। मुझे िज़ंदगी
               भर काम नह  करना पड़ेगा और इसका कारण होगा वह एक सेिमनार। म  हर साल कम से कम
               दो ऐसे सेिमनार  म  जाता ह ँ।

                     म  ऑिडयो टेप का भी  ेमी ह ँ। कारण: म  उ ह  त काल पीछे कर सकता ह ँ। म  पीटर िलंच क े
               टेप को सुन रहा था और उ ह ने ऐसा क ु छ कहा िजससे म  पूरी तरह असहमत था। हठी और
               आलोचना मक होने क े  बजाय म ने ‘ रवाइंड’ बटन दबा िदया और उस पाँच िमनट क े  टुकड़े को

               कम से कम बीस बार सुना। शायद इससे भी  यादा बार। परंतु अचानक, मेरे िदमाग़ को खुला
               रखने से म  समझ गया िक उ ह ने वह बात  य  कही थी। यह जादू क  तरह था। मुझे ऐसा लगा
               िक म ने हमारे समय क े  सबसे बड़े िनवेशक क े  िदमाग़ क  एक िखड़क  खोल ली थी। उनक े   ान
               और अनुभव क े  िवराट संसाधन  म  मुझे बह त  यादा गहराई और अंत  ि  िमली।

                     इसका प रणाम यह ह आ िक म  अब भी अपने पुराने तरीक़ े  से सोच सकता ह ँ और मेरे पास
               उसी सम या या ि थित को देखने का पीटर का तरीक़ा भी मौजूद होता है। मेरे पास एक िवचार

               होने क े  बजाय दो िवचार होते ह । िकसी भी सम या या  वृि  क े  िव ेषण का एक और तरीक़ा,
               िजसे जानना बह मू य है। आज, म  अ सर कहता ह ँ, “पीटर िलंच इसे िकस तरह कर गे, या
               डोना ड  ंप या वॉरेन बुफ़ े  या जॉज  सोरोस?” मेरे पास उनक  वृहद मानिसक ताक़त तक पह ँचने
               का रा ता यही है िक म  उनक  कही ह ई बात  को सुनूँ या उनक  िलखी ह ई बात  को पह ँ। िज़द् दी
               या आलोचना मक लोग  ाय: कम आ म-स मान वाले होते ह  जो ख़तरे उठाने से डरते ह । अगर
               आप क ु छ नया सीखते ह , तो अपने सीखे ह ए  ान को पूरी तरह से समझने क े  िलए आपको क ु छ
   181   182   183   184   185   186   187   188   189   190   191