Page 187 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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ग़लितयाँ भी करनी पड़ती ह ।
अगर आपने यहाँ तक पढ़ िलया है, तो एक बात तो तय है िक आप िज़द् दी नह ह । िज़द् दी
लोग पु तक कम ही पढ़ते ह या टेप कम ही ख़रीदते ह । उ ह इनक या ज़ रत है? वे ांड क े
क िबंदु ह ।
ऐसे बह त से 'बुि मान' यि होते ह िजनक े सामने कोई नया िवचार आने पर वे वाद-
िववाद करने लगते ह अगर वह नया िवचार उनक े सोचने क े तरीक़ े से अलग होता है। इस
करण म , उनक तथाकिथत 'बुि ' उनक 'हठधिम ता' क े साथ िमलकर 'अ ान' बन जाती है।
हम सभी ऐसे लोग को जानते ह जो उ च िशि त ह या जो मानते ह िक वे बह त माट ह परंतु
उनक बैल स शीट एक अलग ही त वीर िदखाती है। जो यि वा तव म बुि मान होता है वह
नए िवचार का वागत करता है, य िक नए िवचार पहले क े िवचार क े साथ िमलकर अद् भुत
संयोग कर सकते ह । बोलने से यादा मह वपूण है सुनना। अगर यह सही नह होता तो भगवान
ने हम दो कान और एक मुँह नह िदए होते। बह त से लोग अपने मुँह से सोचते ह और सुनते
समय नए िवचार तथा संभावनाओं को समझने क कोिशश ही नह करते। सवाल पूछने क े
बजाय वे बहस करने लगते ह ।
म अपनी दौलत क े बारे म दीघ कालीन ि रखता ह ँ। म 'फटाफट अमीर बनने' क
मानिसकता म भरोसा नह करता जो यादातर लॉटरी खेलने वाल या क ै िसनो क े जुआ रय म
पाई जाती है। म शेयर ख़रीद सकता ह ँ, शेयर बेच सकता ह ँ परंतु म िश ा क े मामले म दूरगामी
िवचार रखता ह ँ। अगर आप एक हवाईजहाज उड़ाना चाहते ह तो म आपको पहले इसे सीखने क
सलाह देना चाह ँगा। म ऐसे लोग को देखकर हमेशा त ध रह जाता ह ँ जो टॉक या रयल
ए टेट ख़रीदते ह परंतु अपनी सबसे बड़ी दौलत म िबलक ु ल िनवेश नह करते जो उनका िदमाग़
है। क े वल एक या दो घर ख़रीद लेने से आप रयल ए टेट क े े म िवशेष नह बन जाते।
3. अपने दो त को सावधानी से चुन : साथ रहने क ताक़त। सबसे पहले तो म यह बता
दूँ िक म अपने दो त को उनक अमीरी क े िहसाब से नह चुनता। मेरे ऐसे भी दो त ह
िज ह ने ग़रीबी म जीने क क़सम खाई है और ऐसे दो त भी ह जो हर साल करोड़
कमाते ह । मुद् दे क बात यह है िक म उन सभी से सीखता ह ँ और म पूरा मन लगाकर
उनसे सीखने क कोिशश करता ह ँ।
म यह मानता ह ँ िक म ने अमीर लोग क तलाश क है। परंतु मेरी नज़र उनक दौलत पर
नह , बि क उनक े ान पर थी। कई मामल म ऐसे अमीर लोग मेरे अ छे दो त बन गए जबिक
कई बार ऐसा नह ह आ।
परंतु म आपको एक अंतर बताना चाह ँगा। म ने यह पाया है िक मेरे पैसे वाले दो त पैसे क े
बारे म बात करते ह । और मेरा यह मतलब नह है िक उ ह पैसे का घमंड है। वे इस िवषय म िच
रखते ह । इसिलए म उनसे सीखता ह ँ और वे मुझसे। मेरे वे दो त जो आिथ क दलदल म फ ँ से ह ए ह
वे पैसे, यवसाय या िनवेश क े बारे म बात करना पसंद नह करते। उनक नजर म ऐसा करना
मूख तापूण या बेमानी होता है। इसिलए म अपने ग़रीब दो त से यह सीखता ह ँ िक मुझे या नह