Page 178 - BEATS Secondary School
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होली के रिंग तज़तत कौर की कविता
ृ
- बच्चों की िजर से कक्षा 9
(कछ कविताएँ)
ु
रांगों की एक कोमल सी बलख ती सी नदी
तिीशा यादि की कविता सोहम फरगड़े की कविता सोहम फरगड़े की कविता
तिीशा यादि की कविता
कक्षा 9 कक्षा 9 घरों को जो ब ाँध देती
कक्षा 9
कक्षा 9
वही खुशी की डोर जो सब बच्चे खीांच ले आते
आज है आय रांगो क त्यौह र
मन्ित साह की कविता यह त्यौह र हर वर्फ आत है यह त्यौह र हर वर्फ आत है
आज है आय रांगो क त्यौह र
ू
घर नई-नवेली दुल्हन जैस सज हआ है स थ में अपने खुशशय ाँ ल त है ु स थ में अपने खुशशय ाँ ल त है
ु
घर नई-नवेली दुल्हन जैस सज हआ है
स री शमठ इय ाँ बन ली गई हैं गुल बी रांग और ग ने की धुन में गुल बी रांग और ग ने की धुन में
सुबह की धूप में छपे
स री शमठ इय ाँ बन ली गई हैं
कक्षा 9 सब शमलकर म े करते हैं सब शमलकर म े करते हैं ु
ल ल, पील , नील , गुल बी
ल ल, पील , नील , गुल बी
स रे रांग ननक ल शलए गए हैं बच्चे और बड़े सबके चेहरे रांगों से भरे बच्चे और बड़े सबके चेहरे रांगों से भरे
स रे रांग ननक ल शलए गए हैं
उस च ाँद के िकड़े को भी रांग ज ते
क ु छ ल ल-नीले क ु छ हरे-भरे क ु छ ल ल-नीले क ु छ हरे-भरे ु
च च , म म , बुआ, फ ू फ
च च , म म , बुआ, फ ू फ
स लों ब द आएाँगे एकस थ यह त्योह र तो हर कोई मन एग यह त्योह र तो हर कोई मन एग
स लों ब द आएाँगे एकस थ
हर रांग जैसे अपनेपन क ननश न छोड़ ज त
अच्छे से खेलेंगे होली इस ब र
इस त्योह र को भल कोई कै से छोड़न च हेग ?
अच्छे से खेलेंगे होली इस ब र
आखखर आ ही गय वह त्योह र इस त्योह र को भल कोई कै से छोड़न च हेग ?
क्योंकक आत नहीां यह टदन ब र-ब र ... ...
क्योंकक आत नहीां यह टदन ब र-ब र
... ...
जब म ाँ क ह थ कड़छी घुम ने लग ज त
और शमठ इयों की खुशबू से मुाँह में प नी भर श यद इसीशलए
आददत्य ससिंह की कविता दो न रांगी जलेबबय ां हम रे मुाँह में ले आईं ल र
उस नुक्कड़ पर कोई रांग न थे
आत एक दूसरे पर प नी फ ें कते हए हम
कक्षा 9
ु
बोलते ही रह गए ब र-ब र
आददत्य ससिंह की कविता दो न रांगी जलेबबय ां हम रे मुाँह में ले आईं ल र रांगो क वह शोर
यह रांगों क त्योह र
होली है भ ई होली है!
आखखर आ गय वह त्यौह र
कक्षा 9 एक दूसरे पर प नी फ ें कते हए हम
ु
इस टदन सब बन ज ते हैं य र
...
इस टदन को य द रखते हैं हम स लों-स ल बोलते ही रह गए ब र-ब र कभी उन क नों तक पहाँच न प य थ
जब जमीन पर गगरकर रांगों की बोरी खुलती ु
यह रांगों क त्योह र ु होली है भ ई होली है!
खुशी से खखल हआ मुाँह और ह थों में गुल ल
इस टदन सब बन ज ते हैं य र ...
लांबी-लांबी पपचक ररय ाँ और रांगीले ब ल
यही दख शलए और वही परछ ई की एक च दर
इस टदन को य द रखते हैं हम स लों-स ल ु
हम बोलते ही रह गए- ‘म ां! जल्दी से
खुशी से खखल हआ मुाँह और ह थों में गुल ल
ु
गुखझय प्लेि में ड ल!’
लांबी-लांबी पपचक ररय ाँ और रांगीले ब ल ओढ़े
आखखर आ गय वह त्यौह र
हम बोलते ही रह गए- ‘म ां! जल्दी से
गुखझय प्लेि में ड ल!’
जब हर रांग, ज त, धरम के लोग एक होकर और जैसे वे चीख-चीख कर कहते
खुशशय ां मन ते
अब भल क ल भी तो एक रांग ही है न!
...
आखखर आ ही गय वह त्योह र
जब दश्मन भी म फ करके दोस्त बन ज ते
ु
ह ाँ, वही त्योह र जब कपड़ों पर लग रांग
हम री ज़जांदगी भी रांग देत
जब तन पर गगर प नी हम रे स रे प प धो देत
आज आ ही गय वह रांगों क त्योह र
...