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अमररकन मोकिवशनि स्पीकरों म प्रलसद्ध और "सीड्स ऑफ ग्िनस" जैसी
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पुस्तकों क िखक, जो डलनस वििी ह, उनक शब्दों पर एक त्वररत ऩिर...
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"सबस बड़ी जड़ जो आप अपन बच्चों को द सकत ह, व जजम्मदारी की जड़
और स्वतंत्रता क पंख ह"~डलनस वििी…
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सारस्वतों की कहानी उस बड़ सास्कलतक वृक्ष स संबंलधत ह जहा भारत की
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ST.TERESA’S COLLEGE (AUTONOMOUS), ERNAKULAM
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प्रत्योक राज्यो संस्कलत शालमि ह।हम सभी न योहूदी प्रियो और कश्मीरी
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पंकडतों क उत्पीड़न योा उनक वध क बार म सुना होगा... िककन इलतहास क
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पन्नों म कही न कही सारस्वत ब्ाह्मण की कहानी ह जो पूण्ण रूप स न खोयोी
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हुई ह बज्कक ल्छपी रही ह। इसलिए इनक बार म अलधक जानन क लिए योकद
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खोज कोंकणी भाषा क लिए की जायो जो अलधक अभी भी बोि रह ह और
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उस भाषा जो हम ि जाती ह उसस जुड़ अनक कहालनयोों म। ें
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उनकी मातृ भाषा कोंकणी का पता िगायोा गयोा जजसक शब्द ि जात
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ह कश्मीर तक, जो अब क्विुप्त हो चुकी सरस्वती नदी की ओर ह, इसी
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कारण स उन्ह "सारस्वत" योा "सरस्वती पुत्र" कह जात ह। क्योोंकक उनकी
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संस्कलत सरस्वती नदी क ति पर ही हुई। कश्मीरी पंकडतों का वह समूह
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इसी सारस्वत ब्ाह्मणों का एक भाग ह। कफर लनजचित रूप स एक सवाि
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उठता ह कक प्रवास ककस लिए था? प्रवास क पदलचन्ह हम उस समयो की
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ओर ि जात ह जब सरस्वती नदी सूखन िगी थी जजसक कारण सूख और
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152 अकाि पड़ गए थ और इस कदव्यो नदी क ति पर रहन वाि िोगों क पास