Page 155 - Magazine 2022-intractive flip
P. 155
े
ु
े
े
े
होन क नात। मुंजी (उपनयोनम का समारोह) जब क्ववाकहत मकहिा क बजायो, सामुकहक (संयोति) पूजा
े
ै
ै
ै
िड़का 8 साि का हो जाता ह, तो मुंजी (कोंकणी की जाती ह, जजसका अथ्ण ह कक सभी गुिदस्त
े
ें
म उपनयोनम क लिए शब्द) ककयोा जाता ह। इस का आदान-प्रदान कर सकत ह, लमि सकत ह और
ै
ैं
े
ैं
े
े
समारोह म जन्नुव योा पक्वत्र धागा पर रखा जाता अच््छा समयो क्बता सकत ह। दख कक कस व अभी
ें
ै
े
े
ैं
े
ें
े
ै
ह बच्च क बाए कध स। उस कदन स, वह अपनी भी अपन स्वयों क शालतपूण्ण सद्ाव और अपनपन
े
े
े
े
े
ं
ं
े
े
ं
े
जालत का आलधकाररक सदस्यो बन जाता ह, और की भावना को बनाए रखत ह और उस स्थान क
ै
े
े
ैं
े
ै
कद्ज कहा जाता ह (योालन"दो बार पैदा हुए" क रूप लिए भी प्योार और सम्मान करत ह जहा व अब ह।
ैं
ैं
े
ं
े
ें
म अनुवाकदत)। प्राचीन काि म बािक को गुरुकि गौड़ सारस्वत ब्ाह्मणों क प्रवास न करि की भूलम
ें
ु
े
े
े
े
े
भजा जाता था वदों और शास्त्ों को सीखन क लिए। को क्वत्, लशक्षण, व्योवसायो, उद्यलमता और अन्यो
े
े
े
इस अवलध क दौरान िड़क स अत्योलधक अनुशासन
े
े
क्षत्रों म कई उपिजब्धयोा कदिाई ह। इस तरह
ैं
े
ें
ं
े
े
े
का अभ्योास करन की अपक्षा की गई थी ब्ह्मचयो्ण क
े
े
े
की उपिजब्ध क स्थिों म स एक मट्िनचरी क
े
ें
नाम स जाना जाता ह। उनस एक ब्ह्मचारी जीवन गोश्रीपुरम का कोचीन लथरुमािा दवस्वोम ह जो
ै
े
े
े
ै
े
े
े
जीन, लभक्षा पर जीन और जीक्वत रहन की उम्मीद
े
े
की गई थी शाकाहारी साजत्वक भोजन का चयोन करि क गौड़ सारस्वत ब्ाह्मणों की एक सामाजजक-
े
धालम्णक संस्था ह। योह करि क महाक्षत्रों म स एक
ें
े
े
ै
े
ककयोा और व्योवहार और कमषों म काफी तपस्योा
ें
ह जहा की मूि प्रलतष्ा श्री वकिाचिपलत ह जजनक
ै
ैं
े
े
ं
ँ
का पािन ककयोा। पर धागा समारोह क पूरा होन
े
े
े
ें
े
े
पर िड़का गुरुकि जान क लिए पात्र होगा जो मूलत्ण की कथा हम लतरुपलत बािाजी मंकदर तक ि
ु
ें
ै
जाती ह। गोश्रीपुरम क इस मंकदर म हमशा एक
े
े
ै
ें
उपिब्ध ह भारत भर म स्थान योानी काशी मठ
ै
ें
ै
गुरुकिा / पाताशािा मंगिौर और मु्ककी, गोकण्ण उत्सव का मूड होता ह जजसम दलनक, साप्ताकहक,
ु
ै
े
ैं
ें
ु
ें
ें
े
मठ म परतागिी म गुरुकि और गोवा म कवि मालसक कायो्ण होत ह जैसा कक बतायोा गयोा ह कक
ै
े
ें
ु
ें
े
मठ गुरुकि। पुजारी ककसी म भी प़ि रह होंग यो "गोश्रीपुरम" शब्द वास्तव म तीन शब्दों स बना ह।
े
े
ै
ै
ं
गुरुकि। इस समुदायो क सामान्यो सदस्यो योहा "गोमंथक" जो गोवा ह और जजसका अथ्ण ह ‘गोवा
ु
े
ै
े
े
े
अध्योयोन करत ह। हर साि धागा बदि जाता ह क बसन वाि’ और "श्रीमन" जजसका अथ्ण ह ज्ान
ैं
ै
े
े
ै
े
ं
श्रावण क कहदू महीन म और क्वलभन्न पररजस्थलतयोों क धनी िोग और "पुरम" जजसका अथ्ण ह "स्थान"।
ें
े
े
ें
े
ें
े
म सुट्िा पुनव क रूप म जान जान वाि त्योोहार
े
ें
े
ें
े
े
े
ु
म जैस सुलथग आकद। जीएसबी मुंजी म क्छ मुख्यो इस प्रकार गोवा स इन प्रवासी पजक्षयोों क
े
ैं
अनुष्ान ह दवथ प्राथ्णना, गणपलत पूजा, उदादा मुथु्ण, जीवन क बार म संजक्षप्त क्ववरण योह ह कक
े
े
ें
ै
मातृभोजन, योज्ोपवीत धारणा, ब्ह्मचारी अज्ननकायो्णम, जब व करि क ति म जब उनका प्रवश हुआ
े
ें
े
े
े
गायोत्री उपदश, दड धारणा, मातृलभक्षा आकद। तब कोई न कोई रूप स जादू और व्योापार म
े
ं
ें
े
ें
इसी प्रकार इस समाज म क्ववाकहत मकहिाओं का बदिाव... अध्योयोन... वद... ज्योोलतष जो कोंकणी
े
ै
त्योोहार ह चूडी पूजा चुड़ी पूजा का मतिब चूकड़योों ब्ाह्मण समुदायो न अजस्तत्व तक िायोा गयोा...
े
ै
की पूजा नही ह। योह एक तुिसी पूजा ह जजस यो िोग कहदू धम्ण म िगभग सभी त्योोहार मनात ह,
ं
ै
े
ें
े
ं
े
ैं
े
े
रगीन फिों क गुिदस्त क साथ बाधा जाता ह और और कहदू चंद् किडर का पािन करत ह जो कोंकणी
ं
ै
ू
ं
े
ं
े
ैं
ें
ै
े
े
श्रावण महीन क प्रत्योक शुक्रवार और रक्ववार को
े
म पंचाग कहा जाता ह जो उन कदनों को बताता ह
ै
ें
ै
ै
सभी क्ववाकहत मकहिाओं को कदयोा जाता ह। इस जजन पर उपवास और त्योोहार मनाए जान चाकहए।
े
ें
समयो ग्ामीण इिाकों म जंगिी फिों स भरा हुआ व जहा भी गए, वहा की पररजस्थलतयोों और
ू
े
ं
ं
े
े
ै
े
े
ह और यो साधारण दरबा (घास क ब्िड) क साथ
े
े
ृ
संस्कलतयोों स रूबरू हुए क्बना अपनी जान गंवाए
ू
प्रयोोग ककए जात ह। ऐसा कहा जाता ह कक यो फि और अपन पूव्णजों द्ारा कदए गए अपन क्वश्वासों
े
ै
े
ैं
े
े
े
भगवान क पास गए और लशकायोत की कक जहा
ँ
े
े
ें
उनकी पूजा म गुिाब, गद, चमिी और अन्यो फिों और जीवन को अपन कदि और आत्मा क करीब
ें
े
ू
े
े
े
े
े
रखत हुए और प्रगलत क पथ पर उभर रह।
का इस्तमाि ककयोा जाता था, वही उनकी उपक्षा
े
े
ं
इस प्रकार सारस्वतों की गुमशुदगी की कहानी जो
े
ै
की जाती थी। और कहा जाता ह कक भगवान न
े
े
ै
ँ
कहा ह कक जी एस बी मकहिाए चूड़ी पूजा क लिए भारतीयो इलतहास क पन्नों स ल्छपी योा खो गई ह,
ै
े
े
े
े
े
े
ै
ें
े
ू
े
कवि इन जंगिी फिों का उपयोोग करगी। यो वही ह कक व क्वदशी शक्तियोों क लशकार होन क
े
े
े
ँ
े
े
ें
े
चुकड़योा अब डाक स, तस्वीर ईमि स योा व्हाट्सअप साथ-साथ भारत क संसाधनों को िूिन क लिए भी
स भजी जाती ह, पहि क कदनों क क्वपरीत जब लशकार हुए थ। े
ैं
े
े
े
े
े
ें
उन्ह व्योक्तिगत रूप स बड़ों क घरों म जाकर
ें
े
े
Anagha G Naik
े
े
े
कदयोा जाता था। और अब इस करन वािी प्रत्योक II BSc Mathematics 155