Page 153 - Magazine 2022-intractive flip
P. 153

ृ
                                                                                                          ें
                                                                                           े
                                                                             े
                                                                                े
                                ं
                कोई क्वक्कप नही था और उन्ह अन्यो स्थानों पर    को  बनाए  रखन  क  पररश्रम  न  उस  संस्कलत  म
                                            ें
                                                                                                          े
                                             ृ
                                                         ं
                जाना  पड़ा  उन  ची़िों  एवं  संस्कलत  और  परपरा   रखरखाव को समाप्त कर कदयोा जो चार स्तंभों क
                जजस  व  कहत  थ  "  उनका"  एवं  "अपना"...       भीतर थी क्योोंकक इन िोगों को पुरुष योा मकहिा
                       े
                                 े
                              े
                    े
                                                                                       े
                कफर क्छ िोग पूव्ण की ओर बंगाि की ओर गए         होन क बावजूद बरहमी स मार डािा गयोा था…
                                                                     े
                                                                  े
                      ु
                                                                               े
                    े
                जजस तब "गौड़ दश" कहा जाता था और इसलिए          स्थानीयो दश्णन क अिावा जो कहानी मौजखक रूप
                                े
                                                                              े
                                           ें
                                                            े
                                                                                           ें
                                                                 े
                गौड़ सारस्वत ब्ाह्मण नाम इन्ह लमिा और वहा स    स उनकी मातृ भाषा कोंकणी म प्रसाररत की जा
                                                         ँ
                                                                                             ै
                               े
                कई शताजब्दयोों क बाद आज की गोवा और महाराष्ट्   रही ह, जो एक लिक्पक्वहीन भाषा ह, उन मंकदरों क
                                                                    ै
                                                                                                          े
                                  े
                                                                                                      े
                                                                 ्ण
                                े
                                                                      ्ण
                                                                                      ै
                की ओर बस जान क कारण इन्ह कोंकणी ब्ाह्मण        इद-लगद भी सामन आती ह जो नटि हो गए थ और
                                              ें
                                                                               े
                कहा जान िगा। क्योोंकक प्रथम रूप स गोमातक की    धालम्णक स्वतंत्रता व्योावहाररक महत्व क क्बना शब्दों
                                                                                                े
                                                े
                                                     ं
                        े
                                       े
                                                                                                  े
                ओर प्रवास स्कद पुराण क सह्ाद्ी खंड म दज्ण ह    का एक समूह बन गई थी उनकी। प्रत्योक पररवार
                                                     ें
                                                            ै
                             ं
                                                                                                       े
                                                                               े
                                                                                                    ु
                                                                                           े
                                       े
                                                                                                 े
                कक-गोवा को मुख्यो रूप स अपनी उपजाऊ लमट्िी      जजसक पास अपन आवासीयो दवता थ, किदवता
                                                                    े
                             े
                                                                      े
                                                                         े
                और समृद्ध क्वदशी व्योापार क साथ समुद्ी बंदरगाहों   कहिात  थ,जजस  उन्ह  गोवा  स  भागन  स  पहि
                                                                             े
                                                                                           े
                                                                                  ें
                                        े
                                                                                                     े
                                                                                                  े
                                                                                                          े
                क लिए चुना गयोा था।                            नकदयोों  और  तािाबों  और  कओं  म  फकना  पड़ता
                                                                                        ु
                                                                                                ें
                                                                                              ें
                 े
                                                                                                          ं
                                                               था...जो पररवार बच गए थ व कफर स गोवा नही
                                                                                                 े
                                                                                          े
                                                                                       े
                                                  े
                इसीलिए  गोवा  म  यो  सारस्वत  खती,  म्छिी
                                 ें
                                    े
                                                                      े
                                                                                     ्ण
                                                                े
                                     ें
                पकड़न और व्योापार म डूब गए। व और कच््छ,        दख सक... और गोवा लसफ एक सपना बन गयोा था।
                                                े
                      े
                                                                       ें
                                                                                             े
                                                                                                  ं
                                                               प्रवास म अनक कदन और महीन िगी और इस
                                                                           े
                                               े
                लसंध  और  कश्मीरी  सारस्वतों  क  साथ  संबंध
                                                                                                         ैं
                                                                                                  े
                                                                              ें
                                                                      े
                                                                                             ँ
                           े
                बनाए  रखत  थ।  सारस्वत  ब्ाह्मण  जो  अब  गोवा   समूह क भंडार म वजण्णत कहालनयोा उ्किखनीयो ह।
                              े
                                                                                                     े
                                                                                              ै
                म थ, स्थानीयो स्वदशी िोगों, कडुम्बी योा कम्बी   सारस्वत ब्ाह्मण एक ऐसा समुदायो ह जजसन भारत
                                             ु
                  ें
                     े
                                                        ु
                                  े
                                                                                             े
                                                                                                 े
                                                                 ें
                                                                                   े
                                                               म ककसी भी समुदायो क बीच सबस िंब समयो तक
                                                         े
                                              ें
                                                            े
                                        े
                आकदवालसयोों क साथ साझदारी म काम करत थ
                             े
                                                               और साथ ही व्योापक प्रवासन दखा ह।
                                                                                          े
                                                                                               ै
                                   ैं
                जो आज भी मौजूद ह। अप्रवालसयोों की दूसरी िहर
                                                                                            ृ
                कौंकडन्यो, वात्स्यो और कौलशका गोत्रों क प्रलतलनलध   जब सारस्वत ब्ाह्मण अपनी संस्कलत, रीलत-ररवाजों
                                                  े
                                                   े
                  े
                                        े
                थ।  उन्होंन  मुख्यो  रूप  स  लशक्षण,  िखन  और   और परपराओं क डर और बचाव क लिए गोवा स चि
                          े
                                                                                                          े
                                                                                           े
                                                                     ं
                                                                                                       े
                                                                            े
                  े
                                   े
                                                                                     े
                               ें
                िखा  क  क्षत्र  म  पशवर  कररयोर  की  तिाश  की।   गए, तो इन अप्रवालसयोों क समूह म अन्यो स्थानीयो
                           े
                                                                                             ें
                       े
                                  े
                                                                                         े
                                                                         े
                                                               िोग भी थ, जो पुरान गोवा क कडुम्बी और वैश्योों
                                                                                  े
                                                                                            ु
                                                                                 े
                                                                                                  े
                                                                                    े
                 उन्होंन कशथािी म मगररश मंकदर और किोशी         सकहत कोंकणी बोित थ। गोवा स अपन प्रवास क
                                                                                                          े
                       े
                          ु
                                   ें
                                                                                            े
                                                       े
                म संथा दुगा्ण मंकदर की स्थापना की। योहा स व    दौरान उनम स क्छ कना्णिक और करि क क्षत्रों म
                                                                                                          ें
                                                      ं
                                                                                                      े
                                                                              ु
                                                                            े
                                                                                              े
                                                                         ें
                                                            े
                                                                                                   े
                                                         े
                  ें
                                                       े
                             ें
                                                            े
                    े
                दूसर  गावों  म  फि  गए।  उनक  साथ  आन  वाि     बस गए और कोजच्च की ओर आ गए और अिाप्पुझा
                               ै
                                            े
                        ं
                                                                                                          े
                मुख्यो  दवता  भी  मंगरीश,  महादव,  महािक्मी,   क माध्योम स क्त्रवद्म तक उनक पररवार जो बसन
                                                                                           े
                        े
                                                                           े
                                                                               ें
                                               े
                                                                े
                           ं
                                                    े
                                                                े
                                                                                        े
                                     े
                महिसा, शातादुगा्ण, नागश, सप्तकोिश्वर क अिावा   क दौरान क्वभाजजत हो गए क साथ क्वस्तार ककयोा।
                                               े
                                  ं
                                        े
                                                                                 े
                                                   े
                                                                                                       ें
                                              े
                                                     ु
                                                                                                    े
                कई अन्यो थ। गोमातक क्षत्र इतन सार किदवता       सबस कदिचस्प क्वशषता मातृभाषा क बार म योह
                                                                                               े
                                                        े
                           े
                                                                    े
                           ु
                                                                      ु
                                                                ै
                                                                                                        ु
                        े
                मंकदरों  स  योति  ह  जो  इन  तथ्योों  की  गवाही  दत   ह कक क्छ बंगािी शब्द, क्छ क्बहारी शब्द, क्छ
                               ै
                                                                                       ु
                                                            े
                                                          े
                                           े
                 ैं
                                                 ें
                ह।कोंकण,  कनारा  ति  और  करि  म  ब्ाह्मणों  की   उत्सुक कन्नड़ और शायोद सबस अलधक मराठी क
                                                                                                          े
                                                                                           े
                         े
                                                 ँ
                                                                                       े
                              े
                                                                        ं
                बजस्तयोों क बार म भी ऐसी कहालनयोा सुनाई जाती   बरकरार रग... एक राज्यो स एक परपरा और दूसर
                                ें
                                                                                                          े
                                                                                              ं
                                                                                                      े
                ह।गोवा  क  सारस्वत  ब्ाह्मणों  क  इलतहास  क  कई   राज्यो की आदत, हम कोंकणी ह क्योोंकक इनक पास
                 ैं
                                                       े
                                            े
                                                                                          ैं
                         े
                                              ै
                                                                                ं
                                                                                                     ै
                                                                             े
                वषषों बाद बहुत ही हृदयो क्वदारक ह जब पुत्णगालियोों   हर एक भारत क रग का थोड़ा सा कहस्सा ह।
                  े
                           ें
                न  गोवा  म  संसाधनों  पर  आक्रमण  करना  और     प्रवासों क बीच कोंकणी ब्ाह्मणों का सबस गम्णजोशी
                                                                       े
                                                                                                  े
                िूिना  शुरू  कर  कदयोा।  कोंकणी  ब्ाह्मणों  न  जजस   स स्वागत करि राज्यो द्ारा एना्णकिम क वत्णमान
                                                      े
                                                                 े
                                                                          े
                                                                                             ु
                                                                                                   े
                धालम्णक असकहष्णुता का सामना ककयोा, वह कहता
                                                               जजि म और कोजच्च की ओर ककयोा गयोा था, जो
                                                                      ें
                                                                   े
                 ै
                                     े
                ह कक योह उस समयो स शुरू हुआ जब पुत्णगालियोों
                                                                                  े
                                                                                          े
                                                                                                   े
                                                               उस समयो कोचीन क राजा क शासन क अधीन
                न स्थानीयो िोगों क जीवन म हस्तक्षप ककयोा और
                  े
                                                 े
                                          ें
                                 े
                                                                           े
                                                               था। कोचीन क राजा न कोंकणी िोगों की रक्षा की
                                                                                   े
                                                            े
                                                     े
                                           ु
                जबदस्ती  धमाांतरण  हुआ...  क्छ  न  स्वच््छा  स   और क्वस्थाक्पत िोगों क लिए मंकदर बनान क लिए
                    ्ण
                                                 े
                                                                                                   े
                                                                                                     े
                                                                                   े
                धमाांतरण को स्वीकार ककयोा ताकक व खुशी-खुशी
                                                  े
                                                                                                े
                                                                                         ें
                                                               भूलम प्रदान की और बाद म उन्होंन "कोंकणस्थ
                अपनी जमीन... स्वालमत्व और अन्यो अलधकारों को    महाजनम" नामक एक समुदायो का गठन ककयोा।
                            ें
                बनाए रख सक, जबकक क्छ न लसफ आंख मूंद िी         जब वास्को डी गामा करि क कोझीकोड पहुंच, उस
                                      ु
                                                            ं
                                           े
                                               ्ण
                                                     ें
                                                                                  े
                                                                                                      े
                                                                                        े
                                                           े
                                  े
                और कफर भी उन्होंन अपन घरों की चार दीवारों क
                                       े
                                                                                ें
                                                               समयो कोझीकोड म कोंकणी मौजूद थ। कोचीन क
                                                                                                े
                                                                                                          े
                                ृ
                                                        े
                भीतर अपनी संस्कलत का पािन ककयोा।... िककन       राजा न समुदायो को करों स मुति कर कदयोा था
                                                                      े
                                                                                         े
                आघात  क  खून  और  इस  तरह  की  ककठनाइयोों
                         े
                                                                                              ें
                                                                       े
                                                               और इसक कारण अलधक संख्योा म िोगों का इस          153
   148   149   150   151   152   153   154   155   156   157   158