Page 154 - Magazine 2022-intractive flip
P. 154
े
ें
े
ँ
ै
ै
स्थान पर आगमन हुआ था। हािाकक, करि म क पत् स बनता ह वह एक क्वलशटि खाना ह
े
े
ं
े
े
े
े
े
ब्ाह्मणों न कोंकणी को ब्ाह्मण क रूप म मान्योता उसक उपरात अनक व्योंजन जैस- दािी तो,
ें
ं
े
े
े
े
नही दी क्योोंकक व म्छिी खान वाि थ और समुद् अिजच्चक्करर,विवि,गश्शी दजक्षण की तरह चावि
े
ें
क रास्त आत थ। ब्ाह्मण समुदायो म म्छिी खाना और अप्पोस जैसी िंबी ककस्म की गहूं की चीज
े
े
े
े
ें
प्रलतबंलधत योा वजज्णत माना जाता ह, इसलिए समुद् ह और शवायो नाम का क्वलभन्न खाना भी आकद।
ैं
े
ै
क माध्योम स योात्रा करना वजज्णत था। ऐसा कहा उनक आभूषणों म तलमिों की तरह नाक और
े
े
े
ें
े
ैं
ै
जाता ह कक कोंकणी िोगों न इन संघषषों क कारण कानों म हीर शालमि ह, जबकक उनका मंगिसूत्र
े
े
ें
े
े
ै
म्छिी खाना ्छोड़ कदयोा। महाराक्ष्ट्योों क काि मोलतयोों की तरह ह। वास्तव
म उनक पास दो मंगिसूत्र ह, एक माता-क्पता द्ारा
ें
ैं
े
जब उन्होंन घर बसाना शुरू ककयोा और एक
े
े
कदए गए काि मोलतयोों का और एक ससुराि वािों
े
सुरजक्षत स्थान लमिन क बाद भी ककठनाइयोों
े
े
े
ैं
द्ारा िायोा गयोा मूंगा। उनक अनोख त्योौहार ह।
े
क बावजूद उनकी मातृभाषा कोंकणी की मजबूत
ैं
े
ृ
संस्कलत और मौजखक वण्णन, जजसकी कोई लिक्प शादी क रीलत-ररवाज अकद्तीयो ह, संभवतः उन
े
ैं
ं
े
े
क्वलभन्न स्थानों स लिए गए ह जहा स उनक पूव्णज
ं
नही ह, को बनाए रखा गयोा था... और इस पीक़ियोों
े
ै
े
े
ै
ै
े
तक मौजखक रूप स पाररत ककयोा जा रहा ह। गुजर थ। वक्कि जो कोंकणी दु्कहन ह, महाराष्ट्
े
े
े
ें
े
े
े
दश क क्वलभन्न भागों म पहुंचन क बाद भी इन्होंन की म्छ ु आर की तरह, ब्िाउज को कवर करन वाि
े
े
वी क आकार म एक सफद कपड़ क साथ नौ गज
े
ें
े
े
े
कदि स कई सािों बाद लियोा कक-जब पुत्णगालियोों
े
ै
ै
े
ें
े
न गोवा ्छोड़ा क्छ मूलत्णयोों जो इन्होंन पी्छ ्छोड़ फशन म रशम की साड़ी पहनती ह। दु्कहनों क पास
े
े
े
ु
ं
ै
े
ं
ें
े
कदए थ,बाद म बरामद ककयोा गयोा और बहाि ककयोा नथ नही बज्कक नथ नही होती ह और व पैर की
े
े
अंगूकठयोा भी पहनती ह िककन व अन्यो समुदायोों
ं
ैं
े
गयोा और मंकदर को वापस बनायोा गयोा जैस श्री
क िोगों स अिग होती ह। व ह्कदी योा लसंदूर नही,
ैं
े
े
े
ं
ं
रामनाथ शातरी कामाक्षी मंकदर,महािसा नारायोणी
े
ु
े
ैं
े
ु
कमकम का इस्तमाि करत ह।
े
े
मंकदर,मंगश मंकदर आकद। ऐस उनक पूव्णजों का
े
ं
े
ें
ँ
प्रयोत्न साकार हुआ हािाकक कोंकणी िोग करि समुदायो म पारपररक कन्योादान, मािाओं का
े
पहुँच, जजनकी स्थानीयो भाषा मियोािम थी, उन्होंन आदान-प्रदान, सप्तपदी िककन गंगा पूजा भी
े
े
े
मियोािम भाषा सीखना और बात करना शुरू कर होती ह, और एक अनूठा समारोह होता ह जजस
ै
ै
े
ृ
कदयोा और साथ ही उन्होंन अपनी संस्कलत और उद्धदा मुहूत्ण कहा जाता ह जो इनक शादी का एक
े
ै
ै
ं
े
अपन समुदायो की परपराओं को क्वकलसत करना महत्वपूण्ण कहस्सा ह। योहा िड़का और िड़की अपन
े
ँ
े
े
े
शुरू कर कदयोा, जजसस व स्थानीयो िोगों क जीवन करीबी ररश्तदारों की मदद स उदीद की दाि और
े
े
ें
े
को प्रभाक्वत ककए क्बना रह गए। जगह म सद्ाव मूंग की दाि को पीसत ह। पुरान कदनों म (और
ें
ैं
े
ँ
े
की भावना रखन का प्रयोत्न ककयोा। अब क्छ िोगों द्ारा दोहरायोा गयोा) हमारी शाकदयोा
ु
े
ें
पाच कदनों तक चिती थी। िककन सभी रस्म एक
ं
ँ
मियोािी व्योंजनों का सबस अलनवायो्ण कहस्सा
े
ें
कदन म लसमि कर रह गईं और इसलिए िड़की
पप्पड़म ह जो कोंकणी द्ारा करि िायोा गयोा
े
ै
े
े
े
े
े
था और कोचीन क राजा न इस पसंद ककयोा था समारोह क दौरान कम स कम चार साकड़योों को
ST.TERESA’S COLLEGE (AUTONOMOUS), ERNAKULAM
े
ै
े
े
ं
ै
और योह भी कहा जाता ह कक प्राचीन काि म, बदि दती ह।इन समुदायो क िोगों क पास कहदी
ें
ं
क्ववाह की तरह घोड़ी, बारात योा डोिी नही होती
ें
े
इस पप्पड़म को कवि शाही व्योंजनों म शालमि
ै
ै
े
ं
े
े
ककयोा जाता था जो कवि राजा क महिों म था। ह, िककन एक समारोह होता ह जहा दोनों पक्षों की
ें
ैं
े
ं
मकहिाए एक-दूसर क सामन खड़ी होती ह, कफर
े
े
े
ें
े
े
गौड़ सारस्वत ब्ाह्मण व थ जजन्होंन मंकदर म पूजा
ं
ैं
ं
े
िड़की पक्ष की पाच मकहिाए आग ब़िती ह और
े
की और अन्यो कोचीन क राजा क लनयोमों द्ारा
े
ु
े
ु
े
ू
ें
कदए गए पदानुक्रम क अनुसार अन्यो कक्ष और कमकम, पान, चावि, और दू्कह क पक्ष म फि जो
ृ
े
ै
ें
ै
समाज क सुनार आकद क्षत्रों क कामों म िग… उन्ह स्वीकार करता ह और पारस्पररकता करता ह।
े
े
े
ें
े
कफर दोनों पक्ष आपस म लमित ह और एक साथ
े
ैं
ें
ु
पूव्ण भारत क लनरकश शासन क कई वषषों बाद
े
ं
े
ें
े
ै
ैं
क्ववाह स्थि म जात ह। ककतना प्योारा ररवाज ह !!
े
े
और भारत क क्वलभन्न स्थानों पर रहन वाि
े
े
े
ैं
े
यो िोग अपन स्वाद और परपराओं को बनाए इसक अिावा ओर भी त्योोहार ह... जैस…
ं
े
रखत ह। व हमार खान म नाररयोि और नाररयोि जब बच्चा 2 वष्ण का हो, तो तीसरा वष्ण पूरा करन
े
े
े
ें
े
ैं
े
े
े
े
े
ैं
े
क ति का इस्तमाि करत ह। व िगभग हर स पहि "जविा" (बच्च का पहिा बाि किवान)
े
े
े
े
े
ैं
व्योंजन म राई (सरसो) का उपयोोग करत ह। उनक समारोह आयोोजजत ककयोा जाता ह। बरसो, मुंजी,
ें
े
ै
ें
पास पथरोडो (मराठी म आिू वाडी का एक और क्ववाह और अंलतम संस्कार की तरह ज्वािा भी
154 संस्करण, योा गुजराती म पात्रा), जो कोिोकलशयोा संस्कार क बच्चों म स एक होगा एक जीएसबी
े
े
ें
ें
े