Page 78 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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िाता था। इस "बाबू समाि" क लोगों का रहि- अंग्रिों विारा िम्ष क आिार पर बंगाल क
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सहि, वर्-भूरा, आिार-वयवहार बहुत आकरक पवभािि के जखलाफ सि ् 1905 में पूरे कोलकाता
हुआ करता था। इिका काय्ष िमीिारी का अिीक्ण में आंिोलि र्ुरू हुए। अंग्रेजों को महसूस हुआ दक
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करिा, सवामी (अंग्रि) क वयवसाय की िख-रख कोलकाता उिके रहिे के नलए सुरजक्त सथाि िहीं
करिा एवं अनय िानयतवों का पालि करिा भी था। था। अतीः उनहोंिे राििािी को कोलकाता से दिलली
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य लोग पववाह, श्राद् या अनय अवसरों म 2 लाख सथािांतररत कर दिया।
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स 10 लाख रूपए तक खि्ष दकया करत थ। य लोग
कोलकाता की िलवायु आमतौर पर उषणकदटबंिी
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पवश्राम करि और पतंग उडाकर वीणा-वािि करि
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िलवायु ह। यहा िार ॠतुए ह- यहा ग्रीषमकाल
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क बाि रापत्र म भोग-पवलास का िीवि वयतीत
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माि्ष स मई तक होती ह, िूि स नसतंबर महीि म
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करत थ। े
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वरा्ष ॠतु रहती ह, अकटूबर का महीिा र्रि ॠतु
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सि ् 1772 ई. म कोलकाता भारत की राििािी का होता है एवं िवंबर से फरवरी तक र्ीत ॠतु
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बिाई गई और इसक ठीक एक वर्ष क बाि फोट रहती है। यहां का औसति तापमाि 9 दरग्री सेंटीग्रेर
पवनलयम सवमोचि नयायालय की सथापिा हुई। सि ् से 38.6 दरग्री सेंटीग्रेर तक रहता है। अगसत में
1911 ई. तक कोलकाता भारत की राििािी थी। मािसूि के िौराि सबसे अनिक वरा्ष (लगभग 306
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19वी र्ताबिी क प्रारभ स ही कोलकाता को आिनिक नम.मी.) होती है।
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र्हर बिाि की कोनर्र् की गई। सि ् 1817 ई. म भारत की ििगणिा की पवगत ररपोट (वर्ष 2011)
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कोलकाता दहिू कॉलि, 1835 म मदरकल कॉलि क अिुसार कोलकाता की ििसंखया 4,496,694 ह,
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एवं 1857 म कोलकाता पवविपवद्यालय की सथापिा जिसम पुरूर 2,356,766 और मदहलाए 2,139,928
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हुई। सि ् 1873 म घोड विारा खीि िाि वाल ट्ाम की ह। कोलकाता म 76.5 प्रनतर्त लोग दहनिू िम्ष
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र्ुरूआत की गई थी। भारत म नर्क्ा, संसकनत एवं मािि वाल, 20.60 प्रनतर्त इसलाम को मािि
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सविर्ी आंिोलि की पहल सव्षप्रथम कोलकाता स वाल और बाकी लोग ईसाई, िैि, नसख, बुद्ध एवं
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ही हुई। 19वी र्ताबिी म भारत म पुििा्षगरण और अनय िमशों को अिुयायी ह।
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सुिार का कद्र भी कोलकाता र्हर को मािा िाता
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ह। रािा राम मोहि राय, ईविर िनद्र पवद्यासागर,
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श्री रामकषण परमहस, सवामी पववकािनि, रवीनद्र
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िाथ ठाकर, िगिीर् िनद्र बोस, सतयनद्र िाथ बोस
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और अिक महाि पवभूनतयों, पवविािों व समाि
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सुिारकों ि कोलकाता की सासकनतक गररमा का
पवकास दकया।
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सव्षहारा वग्ष क नलए ततकालीि कोलकाता म
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पयिल क रूप म कछ तालाब थ िैस लालिीघी,
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गोलिीघी एवं हिुआ आदि। उसक बाि तालाब वाटर
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टक का निमा्षण होि क बाि पयिल की सुपविा का
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जोिासांको ्ठाक ु िबाड़वी
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आरभ हुआ। लोह की बिी पािी की छोटी टदकया
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गाडी खीिि वाल घोडों क पािी पीि क नलए बिाई
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कोलकाता र्हर को ‘नसटी ऑफ िॉय’ क िाम
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िाती थी। उस समय र्हर म घोडा का गाडी और
स भी िािा िाता ह। कोलकाता लंब समय स अपि
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पालकी ही पररवहि क एकमात्र सािि थ। हालादक,
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सादहजतयक, सासकनतक, कलातमक और क्रानतकारी
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कछ अमीर वयपक्तयों क पास मोटर कार थी।
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पवरासत क नलए पववि-प्रनसद्ध ह। कोलकाता भारतीय
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