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भारत का णजममेदार नागररक







                             इनद्राणवी द, े
                                                    े
                                       े
                                               े
                             पतनवी: शवी दबाशवीष द, व.ल.प.अ.
             मािव  िीवि  िदटल  ह।  कभी-कभी  उस  पर  िाता है। िर्ा करिे से सांसाररक अर्ांनत, िीवि
                                  ै
         तरह-तरह  की  मुसीबत  आती  ह  और  कभी-कभी  में असफलता, बेरोिगारी, अके लापि और हतार्ा ही
                              ें
                                      ैं
                                            े
                    े
                                 ै
         खुर्ी का संिर् भी आता ह। अख़बार क पनिों को  प्राप्त होती है।
               े
                                                  े
                                                      े
                                                ँ
         पलटत समय हम िो सामाजिक समसयाए िखत                  इि समसयाओं को दकसी राष्ट् क बचिों, युवाओं,
                                                                                       े
         ह, उिम िर्ा, आनथ्षक अपराि, र्राब पीिा, िहि,    मदहलाओं और पुरूरों को उस राष्ट् की मुखयिारा स
                ें
          ैं
                                                   े
                                                                                                     े
                                                  ं
         बाल-श्रम, दकर्ोर अपराि, वृद्धावसथा, भीख मागिा,   िोडकर उिकी नर्क्ा एवं अनय आवशयक अवसरों
                                                े
                                             ैं
                       े
         अिाथावसथा, बरोिगारी आदि र्ानमल ह। य लोगों      को बढाकर िूर दकया िा सकता ह। अत: प्रतयक
                                                                                        ै
                                                                                                   े
         क िनिक िीवि स संबंनित समसयाए ह। सभयता          सतर पर लोगों को िागरूक और सदक्रय होि का
          े
                                           ं
                          े
                                             ैं
             ै
                                                                                                 े
         की र्ुरूआत स ही लोग पवनभनि पररजसथनतयों का      प्रयास करिा िादहए तादक व सभय िागररकों क रूप
                      े
                                                                                 े
                                                                                                 े
                            ैं
                                             े
         सामिा करत आए ह। युग पररवत्षि क साथ ही          म अपिी जिममिाररयों को पूरा कर।
                     े
                                                                                       ें
                                                                      े
                                                          ें
                                े
                                                      ें
         साथ  समसयाओं  क  िायर  और  गंभीरता  िोिों  म
                          े
                                                                                           ें
                                                            वत्षमाि  समय  म  युवा  समाि  म  अजसथरता
                                                                            ें
         पररवत्षि होता ह।
                        ै
                                                                         ै
                                                        काफी  बढ  गई  ह  और  हम  लगातार  पवनभनि
             बचिों और बुिुगशों का र्ारीररक एवं भाविातमक
                                                                              ैं
                                                                  े
                                                           ु
                                                                           े
                                                                                                     ै
                                                        अिभवों स गुजर रह ह। यह कहा िा सकता ह
                                           ै
         र्ोरण एक गंभीर सामाजिक समसया ह। हाल ही म
                                                      ें
                                                                                               े
                                                                                             े
                                                        दक युवाओं की अजसथरता को कम करि क नलए
         इस समसया ि समाि क िीवि म एक गहरा घाव
                      े
                                        ें
                               े
                                                        उिकी सामाजिक जिममिारी और पवत्तीय जसथनत को
                                                                             े
                     ै
         पैिा दकया ह। िाह पवकनसत िर् हों, अपवकनसत
                                      े
                          े
                                                                                   े
                                                                                       ें
                                                                                                     े
                                                        सुिारकर, उनह राििीनतक क्त्र म उपयोगी बिाि
                                                                     ें
         िर् हों या पवकासर्ील िर्, सभी म व एक िििाक
                                          े
                                        ें
          े
                                                  ्ष
                               े
                                                        क नलए ठोस प्रयास दकए िाि िादहए।
                                                         े
                                                                                   े
                                    ैं
                   े
                     े
         िीवि िीि क नलए मिबूर ह।
                                                            सभी मामलों म, भारत निरार्ा और अनिजचिता
                                                                         ें
                            े
                                              ै
             हम यह धयाि िि की आवशयकता ह दक िब
               ें
                             े
                                                                             ै
                                                         े
                                                        क साथ आग बढ रहा ह। यदि भारत की सामाजिक
                                                                   े
         बचिा भली-भानत बडा हो िाता ह, तो वह िुनिया,
                                       ै
                      ं
                                                                  ें
                                                                           े
                                                        संरििा  म  िलि  स  िलि  सकारातमक  पररवत्षि
         मािव सभयता व राष्ट् क साथ ही बुिुगशों को भी
                               े
                                                        िही दकया गया तो भारत अचछ समय व उजजवल
                                                                                    े
                                                           ं
                                               ै
                       ै
               े
         कछ ि सकता ह, उिकी मिि कर सकता ह। दकसी
          ु
                                                                           ं
                                                        भपवषय की संभाविाए खो िगा।
                                                                                 े
         भी  राष्ट्  क  एवं  पवकास  भपवषय  का  बीि  युवाओं
                  े
                                                            उपरोक्त समसयाओं का हल ढूंढिा कोई आसाि
                                               ं
                                 ें
                            ै
         म ही निदहत होता ह। हम यह कभी िही भूलिा
           ें
                                                                ं
                                                        काय्ष िही ह कयोंदक इि सभी समसयओं का समािाि
                                                                  ै
                           े
         िादहए दक हम बचि थ और हम भी भपवषय म बूढ
                             ें
                                                      े
                                                  ें
                                                        करि क नलए बहुत समय और सबकी सहभानगता
                                                               े
                                                            े
         हो िाएग। े
                ं
                                                           े
                                                        अपजक्त  ह।  हम  बस  हार  ि  माित  हुए  िैय्ष  व
                                                                                         े
                                                                       ें
                                                                  ै
                े
             िर् की लत, सवसथ एवं बलवाि युवाओं, पुरूरों
                                                                                                    े
                                                                े
                                                                           ु
                                                        साहस क साथ एकिट होकर अतुलिीय भारत क
         व  मदहलाओं  को  समाि  की  मुखयिारा  स  अलग
                                               े
                                                        निमा्षण की जिममिारी लिी िादहए।
                                                                        े
                                                                              े
                          े
                                             े
                ै
                                         े
         करता ह। यह उिक िीवि को िीर-िीर निगलता
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