Page 70 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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कहत थ दक तीि बदटयों की र्ािी मैं कर िुका हूँ। हटािे और प्रिातंत्र लागू करिे की मांग पर रासते
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यहा तक की अब मरा र्रीर भी निरोग िही रहा, पर उतर गई थी। िारों तरफ दहंसा का माहौल था।
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साल िो साल बाि यदि मैं बाकी बदटयों की र्ािी कहीं भी कु छ भी हो सकता था। रासते पर ही बडे
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िही करूगा तो मर बाि इिको कौि िखगा। उिका बडे पेडों को नगराकर रासते को अवरोि कर दिया
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कहिा सि ही तो था। गया था तथा टायरों को िलाकर भी प्रिर््षि दकया
िा रहा था। इसी विह स िपाल की आमती सािारण
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तीिों ि कछ-कछ पैस नमलाकर उपहार क तौर
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यात्री एवं लोगों की सुरक्ा क नलए रासत पर मौिूि
पर एक साडी खरीिी, अचछी तरह स पैक करवा
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थी। यह सुित ही उिकी हालत खराब हो गई। अब
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कर अपि-अपि बैग म कछ कपड लकर र्ािी म
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व कया कर, उनह कछ समझ म िही आ रहा था।
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र्ानमल होि क नलए िपाल क सफर पर निकल
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वापसी का भी कोई मौका िही था। करीब िो घंट क
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पड। वैस, रमर्बाब नसलीगुडी क निवासी ह। परतु
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बाि, िपाल आमती िीर-िीर रासत को जकलयर करत
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लडक वालों का कहिा था दक लडकी क साथ उसका
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हुए अपि संरक्ण म आग बढि का हौसला िती
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पूरा पररवार िपाल क िुहबी िल तथा वही र्ािी क
गई। बीरगि, इटहरी होत हुए िार घंट का सफर
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उपरात पुिीः लौट आए, इसस हमारी और आपकी
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उनहोंि आठ घंट म पूरा दकया। अंततीः व लोग िुहबी
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खि्ष भी बिगी। इस र्त्ष को रमर्बाबू ि माि
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पहुँि गए। वहा पहुँि कर कार पर छप दठकाि क
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नलया था।
बार म पूछा तो पता िला दक कछ िूरी पर ही
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िोसतों म कवल समर, र्मभू और राि ही थ,
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एक गसट हाऊस ह वही यह र्ािी का काय्षक्रम ह।
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जिनह र्ािी म र्ानमल होि का नयौता नमला था।
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रात क करीब 8:30 बि िुक थ। तीिों की भूख स
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तीिों नसलीगुडी स पािीटकी (िपाल बॉरर) िाि क
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हालत खराब हो रही थी। गसट हाऊस पहुँि कर व
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नलए बस म बैठ। पािीटकी पहुँिि क पचिात ् ररकर्
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लोग िैस-तैस तैयार होकर र्ािी म र्ानमल हुए।
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स मिी पुल पार करत हुए काकरनभटटा पहुँि। मिी
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उि तीिों क नलए इस तरह क माहौल म सफर
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पुल क इस पार पािीटकी (भारत) तथा उस पार
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करिा पबलकल ही एक िया अिभव था। मि म
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काकरनभटटा (िपाल) ह। काकरनभटटा स िपाल क
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एक रर भी बैठ गया था। रात को खािा खाि क
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पवनभनि िगहों पर िाि क नलए बस सवा उपलबि
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बाि तीिों ि र्ािी म अपिी मौिूिगी क िौराि
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ह। भारतीय रूपय का िलि भी िपाल म काफी ह।
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सभी स िाि पहिाि बढाई। रात म ही उनहोंि तय
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वहा बस सटर पर िाकर यह पबलकल भी िही लगा
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दकया दक सुबह-सुबह ही अपि घर क नलए निकल
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की व लोग िपाल म ह। काकरनभटटा स िुहबी िाि
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िाएग। कपवता तथा उसका पूरा पररवार र्ािी की
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वाली बस म व लोग बैठ गए। बस खुल गई। दिि क
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रसमों को निभाि म काफी वयसत था।
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करीब 12:30 बि रह होंग। अिािक बस एक िंगल
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क रासत म रूक गई। जखडकी स झाक कर िब िखा सुबह िाशता करि क बाि व लोग यह पूछ ही
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तो उिकी नसटी-पपटटी गुम हो गई। एक क बाि एक रह थ दक वापस िािा ह, तो पता िला वापसी क
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छोटी-बडी गादडया कतार म घंटों स खडी थी। िपाल नलए रासता बंि ह अथवा पािीटकी की तरफ िाि
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क काफी मात्रा म आमती क िवाि बिूक क साथ वाला रासता पुिीः बंि कर दिया गया था। कारण
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रासत पर िहल-किमी कर रह थ। व लोग तो समझ पता िला दक गत रात उि रासतों म काफी दहसा
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ही िही पा रह थ दक कया मामला ह? बगल क ही हुई ह और कईयों की िाि भी िली गई ह। िपाल
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सीट पर एक िािािी बैठ थ। उनहोंि ही इस मामल की िििानत िो भागों म बंटी हुई ह। एक तो मूल
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क बार म उनह बताया था। रूप स िपाली ह तथा िूसर मिर्ी। बंटवार क
समय पबहार तथा उत्तर प्रिर् क कछ दहसस िपाल
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िरअसल उस समय िपाल म गृहयुद्ध नछड िुका
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म िल गए थ। इनही िििानत को िपाल म मिर्ी
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था। वहा की ििता रािर्ाही पररवार को सत्ता स
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कहा िाता ह।
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