Page 71 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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             तो  अब  लौटि  क  िूसर  कौि  रासत  ह?  यह  सुिसाि िगह रूक गई। पता िला दक बस में कु छ
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         पूछि पर उनह पता िला दक िूसर छोर पर िोगबिी  खराबी आ गई है। करीब िो घंटे और बस के  ठीक
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         बॉरर  ह।  िोगबिी  पबहार  का  दहससा  ह।  यदि  व  होिे के  इंतिार करिे के  बाि बस ड्ाईवर िे कहा
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         लोग उस छोर स िाएग तो पबहार म पहुँि िाएग।  दक आप लोग दकसी िूसरे गाडी की वयवसथा कर
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         दफर वहा स नसलीगुडी िा सकत ह। बॉरर क उस  लें। रात भी हो िुकी थी और तो और िारों तरफ
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         छोर तक िाि क नलए िुहबी स तो कोई भी गाडी  अँिेरा ही अँिेरा। यह सुिते ही उिकी हालत और
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         उपलबि िही थी। दफर भी काफी मर्ककत करि  खराब हो गई। अब कया करें? उनहें कु छ समझ िहीं
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         क बाि उनह एक तीि पदहया ररकर्ा नमला। ररकर्  आ रहा था। िैसे-तैसे तीिों अँिेरे में ही रासते पर
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         वाल स िब पूछा तो उसि कहा दक वह उि तीिों  िलते-िलते एक िौक पर पहुँिे। उनहें पता भी िहीं
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         को  लकर  िोगबिी-िपाल  बारर  तक  पहुँिा  िगा।  था दक वे लोग कहां हैं और अब दकर्िगंि कै से
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         तीिों िोसत सभी स पविाई लकर ररकर् पर बैठकर  पहुँिेंगे?  िौक  पर  एक  छोटी  सी  पाि  की  िुकाि
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         बॉरर की तरफ निकल पड। रासत म िहा-तहा टायर  खुली हुई थी। िुकाि में लालटेि िल रहा था। रात
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         तथा पड की बडी-बडी नसजललयों को िलत िखा।  के  9 बि िुके  थे। िुकाििार से पूछिे पर पता िला
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         कही-कही तो रासत पर भीड भी िमी थी। जिनह  दक  यहाँ  से  कोई  गाडी  अभी  िहीं  नमलेगी।  सुबह
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         िखकर उिका कलिा मुँह म आ िाता था। परतु  का इंतिार करिा पडेगा। अब वे तीिों कै से उस
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         भीड ि उिलोगों स ि कछ पूछा और ि ही उि  सुिसाि रासते पर रात पबताएंगें यह समझ िहीं पा
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         कछ दकया। दफर भी, रर तो रर होता ह और वो  रहे थे। अिािक उनहोंिे िेखा दक एक मारूनत कार
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         भी ऐसी गृहयुद्ध क अर्ात, दहसाग्रसत माहौल म।  उसी रासते से गुिरी। उनहोंिे दहममत करके  मारूनत
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         करीब िो घंट की ररकर् स सफर क बाि व लोग  को रोका और अपिी आपबीती बताई। मारूनत कार
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         िपाल-पबहार क बॉरर िोगबिी पहुँि गए। ररकर्  वाले िे उिकी समसया को समझा और अपिी कार
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         वाल को तहदिल स िनयवाि दिया।                    म बैठाकर दकर्िगंि छोड िि की बात कही कयोंदक
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                                                        वह भी दकर्िगि ही िा रहा था।
                                                                      ं
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             अब  उिक  िहर  खुर्ी  स  िमक  रह  थ।  वहा
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         पूछि पर पता िला दक िोगबिी स दकर्िगंि क             मारूनत म बैठि क बाि ही उिकी िाि म िाि
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         नलए ट्ि िलती ह। व लोग िोगबिी रलव सटर्ि  आई।  ड्ाईवर  िे  कार  की  साउंर  नससटम  से  गािे
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         पहुँि। पर वहा स कोई भी ट्ि उस दिि िही थी।  को फू ल वालयूम में बिा दिया। रात के  अंिेरे में
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         सुबह क 11 बि रह थ। दफर व लोग वहा स एक  सुिसाि रासते पर के वल उिकी कार ही िा रही थी।
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         छोटी गाडी स फारपबसगि क नलए रवािा हुए। एक  आस-पास और कु छ िहीं था। दकर्ोर कु मार के  गािे
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         स रढ घंट क सफर क बाि फारपबसगि पहुँि। दफर  बिते िले िा रहे थे और वे लोग दकर्िगंि की
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         फारपबसगि स अरररया क नलए एक नमिी बस म  तरफ बढते िा रहे थें। रात करीब 10 बिे मारूनत
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         बैठ। अरररया पहुँित-पहुँित र्ाम क िार बि गए  वाले भैया िे उनहें दकर्िगंि रेलवे सटेर्ि के  बाहर
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         थ। गंतवय िििीक लग रहा था। समर और राि  उतारा। र्मभू िे उनहें भाडा दिया दफर तीिों सटेर्ि
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         क पास पैस भी अब प्रायीः खतम होि वाल थ। उनह  पर  पहुँिे।  पहुँिते  ही  उनहोंिे  िेखा  दक  नसलीगुडी
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         भूख भी काफी लगी हुई थी। र्मभू क पास कछ  िािे वाली अंनतम ट्ेि पलेटफाम्ष पर खडी है और
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         पैस बि थ। वही अरररया म तीिों कछ खा-पीकर  तुरनत ही खुलिे वाली है। िौडते-िौडते समर दटकट
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         दकर्िगंि की बस म िढ गए। सुिा दक वहा स  काउंटर पर पहुँिा। ठीक उसी समय ट्ेि की हाि्ष
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         और िार स पाि घंट का सफर ह। बैठि क नलए  बि पडी और ट्ेि िीरे-िीरे आगे बढिे लगी। पबिा
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         सीट तो िही नमली दफर भी खड-खड ही बस स  दटकट काटे ही वे तीिों रेलवे की पटररयों को पार
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         दकर्िगंि की तरफ बढ। करीब 2 स 2.30 घंट  करते हुए ट्ेि की पपछली बोगी में िढिे के  नलए
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                                                      े
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         क  सफर  क  बाि  पता  िही  कया  हुआ?  बस  एक  िौडे। पहले समर िढा दफर र्मभू परंतु राि िहीं
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