Page 75 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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एक पक्ी क े दो णसर
संगवी्ा झा,
पतनवी: शवी अतनल क ु माि झा, सल./् ं
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एक बार की बात ह, एक ििी क दकिार एक ले नलए और पहले नसर से
पड पर एक पक्ी रहता था जिसका िाम भरूििा बोला "िोखेबाि। आि मैं
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था। वह पक्ी अिोखा था कयोंदक उसक िो नसर पवरैले फल खाऊँ गा और
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मगर पट एक ही था। एक दफर मैं अपिे अपमाि
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दिि बह पक्ी झील क का तूझसे बिला लूगाँ।
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दकिार घूम रहा था दक इस पर पहला नसर बोला
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तभी उस एक लाल रग दक कृ पया वह पवरैले फल
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का फल नमला। वह फल ि खाए कयोंदक एक पेट
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िखि म बडा ही सवादिष्ट होिे के कारण हम िोिों
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लग रहा था। एक नसर ही मर िाएंगे।" इस पर
ि बोला की "वाह"! कया िूसरा नसर बोला िुप रहों। यह फल मुझे नमला है
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फल ह। लगता ह दक और इस फल को खािे का पूरा अनिकार मेरा है।
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भगवाि ि यह फल मर इस पर पहला नसर रोिे लगा मगर िूसरे नसर िे
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नलए भिा ह। मैं दकतिा भागयर्ाली हूँ। दफर वो एक ि सूिी और वह पवरैला फल खा नलया। इसके
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सर उस फल को बडी प्रसनिता स खाि लगा और पररणाम सवरूप िोिों नसरों को अपिी िाि से हाथ
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खात हुए उसकी प्रर्ंसा करि लगा। यह सुि कर िोिा पडा।
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िूसरा नसर बोला "ओ पयार! मुझ भी यह फल
िखि िो जिसकी तुम इतिी प्रर्ंसा कर रह हो।"
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इस बात पर पहला नसर हसि लगा और बोला
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िब हमारा पट एक ही ह तो कोई भी नसर यह
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फल खाए, यह फल तो उसी पट म िाएगा ि। तो
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इस बात म कोई अंतर िही ह दक मैं फल खाऊ
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या दफर तुम और कयोंदक यह फल मुझ नमला ह
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तो फल खाि का पहला
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अनिकार भी मरा ही ह।
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इस बात को सुि कर िूसर
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नसर को बहुत िुीःख हुआ
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संदश: बुपद्धमाि वयपक्त दकसी भी काय्ष को करि
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और उसको पहल नसर क
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क पहल पविार करता ह परनतु एक मूख्ष मजसतषक
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सवाथती होि पर गुससा भी
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िहीI बुपद्धमािों को गररमा क साथ िीि का
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आया। दफर एक दिि िूसर
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अनिकार ह, लदकि मूख्ष कवल ितिाहीि और
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नसर हो एक पड पर पवरल
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अज्ाितावर्, र्म्ष और अंिकार की तरफ अपि
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फल नमल। उसि वह फल किम बढाता हैI
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