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एक पक्ी क े  दो णसर







                            संगवी्ा झा,
                            पतनवी: शवी अतनल क ु माि झा, सल./् ं

                                          े
                                                 े
                              ै
             एक बार की बात ह, एक ििी क दकिार एक  ले नलए और पहले नसर से
         पड पर एक पक्ी रहता था जिसका िाम भरूििा  बोला "िोखेबाि। आि मैं
          े
         था। वह पक्ी अिोखा था कयोंदक उसक िो नसर  पवरैले  फल  खाऊँ गा  और
                                             े
                               मगर पट एक ही था। एक  दफर  मैं  अपिे  अपमाि
                                      े
                               दिि  बह  पक्ी  झील  क  का  तूझसे  बिला  लूगाँ।
                                                     े
                                     े
                               दकिार  घूम  रहा  था  दक  इस पर पहला नसर बोला
                                                    ं
                               तभी  उस  एक  लाल  रग  दक कृ पया वह पवरैले फल
                                       े
                               का फल नमला। वह फल  ि खाए कयोंदक एक पेट
                                े
                                    े
                               िखि म बडा ही सवादिष्ट  होिे के  कारण हम िोिों
                                       ें
                               लग  रहा  था।  एक  नसर  ही मर िाएंगे।" इस पर
                               ि बोला की "वाह"! कया  िूसरा नसर बोला िुप रहों। यह फल मुझे नमला है
                                 े
                               फल  ह।  लगता  ह  दक  और इस फल को खािे का पूरा अनिकार मेरा है।
                                      ै
                                                 ै
                                                      े
                                                     े
                               भगवाि ि यह फल मर  इस पर पहला नसर रोिे लगा मगर िूसरे नसर िे
                                         े
         नलए भिा ह। मैं दकतिा भागयर्ाली हूँ। दफर वो  एक ि सूिी और वह पवरैला फल खा नलया। इसके
                    ै
                े
         सर उस फल को बडी प्रसनिता स खाि लगा और  पररणाम सवरूप िोिों नसरों को अपिी िाि से हाथ
                                       े
                                            े
         खात हुए उसकी प्रर्ंसा करि लगा। यह सुि कर  िोिा पडा।
             े
                                   े
                                   े
                                         े
         िूसरा  नसर  बोला  "ओ  पयार!  मुझ  भी  यह  फल
         िखि िो जिसकी तुम इतिी प्रर्ंसा कर रह हो।"
                                                 े
              े
                                   ँ
         इस  बात  पर  पहला  नसर  हसि  लगा  और  बोला
                                      े
                                 ै
         िब हमारा पट एक ही ह तो कोई भी नसर यह
                     े
                                        ें
         फल खाए, यह फल तो उसी पट म िाएगा ि। तो
                                    े
         इस बात म कोई अंतर िही ह दक मैं फल खाऊ
                                     ै
                    ें
                                   ं
         या दफर तुम और कयोंदक यह फल मुझ नमला ह
                                                      ै
                                             े
         तो  फल  खाि  का  पहला
                      े
         अनिकार  भी  मरा  ही  ह।
                       े
                               ै
         इस बात को सुि कर िूसर
                                े
         नसर को बहुत िुीःख हुआ
                                                           े
                                                        संदश:  बुपद्धमाि  वयपक्त  दकसी  भी  काय्ष  को  करि
                                                                                                     े
                        े
                               े
         और उसको पहल नसर क
                                                         े
                                                                             ै
                                                        क पहल पविार करता ह परनतु एक मूख्ष मजसतषक
                                                               े
         सवाथती होि पर गुससा भी
                   े
                                                                                                 े
                                                                                     े
                                                        िहीI  बुपद्धमािों  को  गररमा  क  साथ  िीि  का
                                                           ं
                                े
         आया। दफर एक दिि िूसर
                                                                      े
                                                                  ै
                                                                                         े
                                                                                  े
                                                        अनिकार  ह,  लदकि  मूख्ष  कवल  ितिाहीि  और
                                े
         नसर हो एक पड पर पवरल
                     े
                              ै
                                                                                                     े
                                                        अज्ाितावर्,  र्म्ष  और  अंिकार  की  तरफ  अपि
                 े
                        े
         फल नमल। उसि वह फल                              किम बढाता हैI
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