Page 136 - Sanidhya 2025
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             निमानि��ा या मा�बों�ी निचात्राका�ा - एका पुरिरंचाय


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             में�ुबनोंी याा किमेंकिथालाा पीनेकिटीग भाारत की सीबसीे प्रकिसीद्ध लाोक कलााओंं मेंं सीे
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             एक ह। पीवाि मेंं याह लाोक कलाा किबहार राज्य क किमेंकिथालाा क्षत्रा मेंं सीीकिमेंत
                                  ं
             थाा किजीसीसीे इसीका नोंामें किमेंकिथालाा पीनेकिटीग हुआ, पीरन्तु आजीकला इसीका   अ�ादिमका झौा
                                                                                           ु
                                                                                      ु
             किवा�ार पीर किबहार, बगाला क कछ भााग वा उत्तरी भाारत क राज्यों तक   पीत्नीी श्रीी सीमेंन्त कमेंार झीा
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             फलाा ह। ऐसीी मेंान्यता ह किक मेंॉ जीानोंकी (सीीता मेंाता) जीो किक किमेंकिथालाा
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             प्रदश क राजीा जीनोंक की पीत्राी थाी का किवावााह मेंयाािदा पीुरूषोत्तमें रामें क
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                                                         े
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             सींग जीब हुआ थाा, उसी वाक्त राजीा जीनोंक नोंे पीर किमेंकिथालाा नोंगरी को
             स्थाानोंीया कलााकारों द्वाारा सीजीायाा थाा, तभाी सीे इसी कलाा का जीन्म हुआ।
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             पीवाि क सीमेंया मेंं गावा मेंं किमेंट्टीी सीे बनोंी झीोपीकिड़याों मेंं याह पीस्तिन्टग बनोंी हुई
                                                  ं
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             दखी जीाती थाी, लाेकिकनों अब �ीर-�ीर सीमेंया बदलानोंे क सीाथा अब इसीे   दिमदिथला पीस्थि�ग म वंदिणत प्रत्येक दिचन्हा का अपी�ा अलग
                                              े
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             कपीड़ याा बनोंर क कनोंवाासी पीर भाी खूब बनोंायाा जीाता ह। ै  �ादिमक महीत्व हींता ही जसी दिक -
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                                                                   ष
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                                                                         कमेंला का फला किमेंकिथालाा पीनेकिटीग मेंं आध्यास्तित्मक
                                                                                         ं
                                                                                           ं
                                                                                 ू
                                                                                      ु
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                                                                                     ं
                                                                         ऊचााई, सीुंदरता, सीतलानों और जीीवानों की उत्पकित्त
                                                                                           ै
                                                                                              े
                                                                         का एक बहु�रीया प्रतीक ह। सीांककितक रूपी सीे
                                                                कमल      फला याह इकिगत करता ह किक मेंनोंुष्य इसी दकिनोंयाा
                                                                               ं
                                                                          ू
                                                                                                   ु
                                                                                        ै
                                                                         की बराईयाों क बीचा रहकर भाी शुद्ध, किनोंमेंिला एवां
                                                                                 े
                                                                            ु
                                                                         ऊचाा जीीवानों जीी सीकता ह। ै
                                                                          �
                                                                                           े
                                                                           ू
                                                                         किहन्दुद �मेंि मेंं भागवाानों किवाष्णाु क दश अवातारों मेंं
                                                                         मेंत्स् अवातार को पीहलाा अवातार मेंानोंा गयाा ह।
                                                                                                      ै
                                                                         मेंछलाी को शभा और मेंंगलादायाक मेंानोंा जीाता ह।
                                                                                 ु
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                                                                मछूली
                                                                         किकसीी भाी किवावााह, पीारपीरिरक रीकित-रिरवााजीों एवां
                                                                                      ं
                                                                                                  े
                                                                                         ृ
                                                                         त्याोहार मेंं मेंछलाी की आककित को शभा क प्रतीक
                                                                                                ु
                                                                          े
                                                                         क रूपी मेंं बनोंाई जीाती ह। ै
                                            े
             पीारम्परिरक वा �ाकिमेंिक उत्सावाों सीे शुरूआत होनोंे क पी�ात् आजी इसी
                                                                                                      े
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             लाोक कलाा का किवा�ार अन्तरराष्ट र ीया �र तक पीहुचा चाका ह। किबहार   गणेश जीी को कष्टों को हरनोंे वाालाा, सीफलाता दनों
                                                                                              ै
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             और आसीपीासी क राज्यों मेंं प्रत्याेक �ाकिमेंिक उत्सावाों पीर बनोंाई जीानोंे वाालाी   वाालाे एवां प्रथामें पीूज्य मेंानोंा जीाता ह। इनोंका किचान्हे
                                                                                              ू
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             कलााककितयाों का सीब� किमेंकिथालाा पीनेकिटीग सीे ह । पीस्तिन्टग क मेंाध्यमें सीे   हीाथी  शभा कायाो, त्याोहार, किवावााह और पीजीनों किचात्राों मेंं
                                             ं
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             रामेंायाण, मेंहाभाारत वा पीराणों मेंं वाकिणित दवाी - दवाताओंं, �ाकिमेंिक   बनोंाई जीाती ह। ै
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             कहाकिनोंयाों क चारिरत्रा वा घटीनोंा को बनोंायाा और दशायाा जीाता ह। पीवाि मेंं   भागवाानों किशवा क पीत्रा काकितकया का वााहनों मेंोर
                                                     ू
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             पीस्तिन्टग मेंं रग भारनोंे क किलाए कवाला स्थाानोंीया फलाों, हल्दी कोयालाा, पीकित्तयाों   होता ह । याह सीाहसी, बहादरी एवां सीतकता का
                                                                                          ु
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                                                                             ै
             वा नोंीला का इ�मेंाला किकयाा जीाता थाा पीरन्तु आजीकला इसी Fabric वा   प्रतीक ह। इसीकिलाए किमेंकिथालाा पीनेकिटीग मेंं जीब याुद्ध सीे
                       े
                                                                                             ं
                                                                              ै
                                                                                           ं
                                      ै
             Acrylic Paint द्वाारा भाी बनोंायाा जीाता ह ।
                                                                             े
                                                                           े
                                                                          ु
                                                                                                  ै
                                                                                े
                                                                 मंर     जीड़ दवाी-दवाता का किचात्रा बनोंायाा जीाता ह, वाहा�
                                                                         पीर उनोंक सीाथा मेंोर का भाी किचात्रा बनोंायाा जीाता ह। ै
                                                                              े
                                                                                             ू
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                                                                         कछआ को भागवाानों किवाष्णाु का दसीरा अवातार
                                                                         मेंानोंा जीाता ह । याह कवाला जीला मेंं रहनोंे वाालाा
                                                                                      े
                                                                                 ं
                                                                         जीीवा ही नोंहीं ह अकिपीतु याह �याि, अटीलाता,
                                                                                  ै
                                                                                           ै
                                                                  ु
                                                                कछूआ     सीहनोंशीलाता और दीघिकाकिलाक शांकित का प्रतीक
                                                                         ह। स्तिस्थारता, सीयामें और दीघ्रकाकिलाक मेंंगला की
                                                                          ै
                                                                                  ं
                                                                                      े
                                                                                                  ं
                                                                                                ं
                                                                         कामेंनोंा को दशािनोंे क किलाए किमेंकिथालाा पीनेकिटीग मेंं याह
                                                                         किचात्रा बनोंाते ह। ै
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