Page 43 - Spagyric Therapy Part- 1st (5)
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लवर  ल ज क दौरान....
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   ए सम सॉ ट क  पहली डोज लेन क बाद  कसी भी व  डाय रया क  शु आत हो सकती ह। ले कन, आमतौर पर  टो स
   ए सम सॉ ट क  तीसरी-चौथी डोज लेन क बाद ही  नकलत ह। यह   या  सर  दन दोपहर दो स चार बज तक जारी रह
                                            े
                                                             े
                                                                                े
                                                                                                  े

                                                                                                           े
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   सकती ह। मुम कन हो तो  ल ज क दौरान यूरो पयन  टाइल क टॉयलेट का  योग कर। इसस आप कमोड म  टो स को

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   तैरत  ए दख सकत ह। य द आप इ डयन टॉयलेट का इ तेमाल करत ह, तो  टो स को दखन क  लए छननी का इ तेमाल
                                                                                         े
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                                        े
   कर। आप  टो स को दख ज र, उसस  ल ज पर आपका भरोसा बढ़गा।

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    लवर  ल ज-    व सी
                                                                                             े
   डाय रया क चलत शरीर म कछ पोषक त व व  मनर स कम हो जात ह। इनक  भरपाई होन म एक-दो  दन तक का व
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                                                                       े
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                                                         े
   लग सकता ह। इस लए दो  लवर  ल ज क बीच कम स कम दो स ताह का अंतर अव य होना चा हए। दो स ताह क अंतर
                                                                                                                   े
                                                                             े

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                                                                                                                  े

                                                                                                   े
   स तब तक लगातार  लवर  ल ज जारी रख, जब जक  क  टो स पूरी तरह स  नकल न जाय। इसक बाद छह महीन म एक

   बार  लवर  ल ज कर लेना काफ  होता ह।
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    वरोधाभास
                                                                                               ै

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   गॉल- टो स को लेकर  ल  ज ग थेरेपी और परंपरागत मे डकल थेरेपी म काफ   वरोधाभास ह। मॉडन मे डकल थेरेपी क                   े


   अनुसार  टो स  सफ गॉल- लैडर म होत ह,  लवर म नह । उनक  सं या सी मत होती ह। इकाई-दहाई म हजार  म नह  और

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                                                                                       ै


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   दद  सफ गॉल- लैडर अटक क  दशा म ही होता ह।  सरी ओर,  लवर  ल ज स  नकलन वाल  टो स को आप खुद दख

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                                                     ै


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   सकत ह। दरअसल, गॉल- लैडर अटक क चलत आज आप ब त अ धक दद झेल रह होत ह तेा कछ बड़, क  शयम स बन                               े
                                      ै
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                                     े

    टोन अ  ासाउड म  दखाई द जात ह, इसी लए यह मान  लया जाता ह  क गॉल- टो स इ का-  का क  सं या म ही होत                     े
                                े

   ह, हजार  म नह । सच तो यह ह  क गॉल- टो स क चलत गॉल- लैडर  नकाल जान पर दद स राहत तो ज र  मलती ह,                        ै
                                                                                े
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                                                                                               े
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   परंत इ  लेमेशन,  सर तरह क दद और बदहजमी जैसी  शकायत आम हो जाती ह। ऐस लोग भी, जब  लवर  ल ज करत ह

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                                                                                   ु
   तो उनक  लवर स भी  प  क  परत चढ़  पथ रया  नकलती ह। इनको अगर दो टकड़  म काटकर बारीक  नरी ण  कया


                                                                                                         े
                                                                     ै


   जाए तो वो  ब कल गॉल- टो स क  तरह होती ह। हक कत तो यह ह  क य  टो स भी गॉल- टो स ही होत ह, जो  ल ज क                    े
                   ु
                                                                           े

                                                           ्
   चलत ड टस स बाहर आ जात ह। कई बार बाइल-ड टस म मौजूद कोले टरॉल स बन  टोन सामा य  टोन क  तरह न
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                                                                                         े
                                                                              े

                                                                                     े
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   होकर मुलायम होत ह और पानी म तैरत रहत ह। य भूर रंग क होेत ह,  ज ह परंपरागत मे डकल साइस  टोन मानती ही नह
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   ह।
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    लवर  ल ज का एलज  व अ मा पर असर
   एलज  व अ मा, और कछ नह ,  लवर क  व  न होन क ल ण ह।  लवर  जतना अ व  होगा, य ल ण उतन ही
                                                                                                                      े
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                                                                                                                 ु
                                                                                           े
   ‘सी रयस’ ह ग। गौरतलब ह  क वातावरण स या खान-पान क ज रए जब कोई पदाथ शरीर क अंदर प ंचता ह तो कछ लोग
                                                             े
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                                                         ै
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                                                                                                          े
   का इ यून  स टम उस शरीर का  शमन समझ बैठता ह। वह उस पर हमला कर दता ह। नतीजा एलज  क  प म सामन                            े
                                                                                        ै

                                                                                   े
   आता ह, जब क  यादातर लोग  क  लए यह पदाथ पूरी तरह स नुकसानर हत होता ह। वाल प ट,  ला  टक क  क स या,                      ं
                                                                  े
                                                                                        ै
           ै
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   फल-पौध, धूल आ द कछ ऐसी  मसाल ह जो आमतौर पर नुकसानर हत होती ह, परंत कछ लोग  क  लए य गंभीर सम या
                                                                                        ु

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                          ु

   ह। हमार खान-पान म कछ नेचुरल क मक स होत ह,  ज ह ‘ डटा स’ करन का काम  लवर करता ह।  लवर क अलग-अलग



        े
    ह स, अलग-अलग  क म क क मक स को  डटॉ  सफाई कर उ ह शरीर क  लए सुर  त बनात ह। कोई  ह सा  ला  टक
                                                                            े
                                  े
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                                                                                                े

   और सॉ वे टस को  डटॉ  सफाई करता ह तो कोई पर यूम व इक को, और कोई  कसी अ य पदाथ को। शायद इसी कारण
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                                           ै
                                                                ं
   रोजाना अलग-अलग  क म का खाना खान का चलन ह, ता क  लवर क  कसी एक  ह स पर  यादा जोर न पड़न पाए।
                                                        ै
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                                                                       े
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                                                                                       ं
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     टो स आ द क चलत बाइल-ड टस म  कावट होन पर बाइल का ‘ लो’ सामा य ढग स नह  हो पाता। इसस अव
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   बाइल-ड ट वाल  लवर क  ह स म दबाव बढ़ जाता ह। और वह कम मा ा म बाइल का  नमा ण करन लगता ह।
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