Page 38 - Spagyric Therapy Part- 1st (5)
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यह शरीर क क मकल फ टरी ह ै
यह प का नमा ण करता ह ै
यह सभी खा -पदाथ का सं ेषण करता ह ै
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यह अ मनो ए सडस को ोट न म प रव त त करता ह ै
औष धय क नुकसानदह अंश व अ य रसायन को शरीर स नकाल बाहर करन का मह वपूण काय लवर ही करता ह।
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प ाशय
प ाशय यानी गॉल- लैडर लवर म बनन वाल प
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क लए टोरेज से टर ह, जो कॉमन बाइल-ड ट
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(मु य प नली) स जुड़ा होता ह। यह प ,
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नाशपती क आकार वाल प ाशय म सं चत होकर,
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छोट आँत म प ंचता ह और पाचन म मदद करता ह।
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उ लेखनीय ह क लवर म ऐसी अनेक न लकाएं होती ह
जो मु य प नली स जुड़ी होती ह। लवर ारा
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न म त प , प न लका स होकर मु य प नली
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तक और फर नली क सर सर पर त प म
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प ंचता ह। चब दार या ोट न क अ धकता वाल े
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खा -पदाथ क सेवन क बाद यह थैली सकड़न लगती ह और बीस मनट क भीतर ही संपूण ‘पाचक-रस’ प नली स े
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छोट आँत म प ंच जाता ह। गॉल- लैडर नकाल जान (गॉल- टोन होन पर क जान वाली सज री आ द) पर भी लवर
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बाइल का नमा ण करता ह जो सीध छोट आँत म रसता रहता ह।
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लवर स टॉ स स, चब , कोले टरॉल व क शयम क जमा होन स बन टो स वगैरह को नकाल बाहर करना प क एक
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मुख खूबी ह। ले कन, यही प जब लंब समय तक प ाशय म जमा रहता ह तो गाढ़ा होन लगता ह और खुद टोन बनन े
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का करण बनता ह। प का नमा ण सामा य स कम होन पर भी टोन बनन का खतारा रहता ह और इस टोन क चलत भी
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लवर क प नमा ण मता क कम होन का खतरा रहता ह। नतीजतन, शरीर स कम मा ा म ही कोले टरॉल व सर े
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वषैल त व क नकासी हो पाती ह।
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प कस बनता ह ै
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हमार शरीर क काय णाली क या कहन! वह ‘वे ट ोड टस’ को भी रसाइकल करक इ तेमाल यो य बना लेता ह। प
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नमा ण या भी कछ इसी तरह क ‘ रसायक ल ग’ का प रणाम ह। त त हो चुक या न होन क कगार पर प ंच
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चुक लाल र -को शका क भीतर मौजूद हीमो लो बन को लीन ( लीहा), बाइल सॉ टस और अ य पदाथ म
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प रव त त कर दता ह। जब तक य बाइल सॉ टस शरीर म उ चत मा ा म बन रहत ह, कोई सम या पेश नह आती। ले कन
शरीर म इनक मा ा बढ़ जान पर लवर इ ह प ाशय म भेज दता ह, जहा य इक ा होत रहत ह और आव यकतानुसार,
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पाचन क लए छोट आँत म छोड़ दए जात ह।
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प क काय
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जब गॉल- लैडर स प यानी बाइल छोट आँत म प ंचाता ह तो वह न न ल खत काय को अंजाम दता ह-
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चब का वघटन करक, उसक पाचन या को आसान बनाता ह। जब आप अ धक मा ा म चब यु खा पदाथ का
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सेवन करत ह तब प ाशय सामा य क तुलना म कह अ धक मा ा म प का रसाव करता ह। जस तरह तेल लग े
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