Page 39 - Spagyric Therapy Part- 1st (5)
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चप चप बरतन को बन साबुन क इ तेमाल क भलीभं त साफ कर पाना संभव नह होता, उसी तरह चब का पाचन प क े
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बना मुम कन नह ह। यही वजह ह क जब कभी प -पथरी या कसी अ य कारण स प ाशय नकाल दया जाता ह तब
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खान-पान म मौजूद चब क पाचन क लए समु चत मा ा म प क आपू त नह हो पाती। नतीजतन बदहजमी व पाचन
संबंधी अ य गड़ब ड़या दखन को मलती ह।
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अ कलाइन क त होन क कारण यह आमाशय म मौजूद ए सड को उदासीन बनाता ह।
बड़ी आँत क लए एक ाक तक ‘लै जे टव’ का काम करता ह।
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प -पथरी या गॉल- टोन या ह?
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शरीर का कोई भी ऐसा ह सा जहा ख नज-लवण ( मनरल) यु व का जमाव संभव ह, पथरी क सम या का शकार हो
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सकता ह। आमतौर पर प ाशय जैस थैलीनुमा अंग म इस ख नज-लवण यु व क सामा य स अ धक समय तक जमा
रहन क संभावना यादा होती ह, लहाजा वहा पथरी बनन क गुंजाइश भी अ धक रहती ह। य पथ रया आकार म छोट या
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बड़ी होती ह। कछ मामल म कई पथ रया मलकर एक बडी पथरी का प धारण कर लेती ह। आकार म छोट पथ रया ं
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प ाशय स प क साथ बाहर नकल जाती ह, परंत बड़ी पथ रया प न लका म ही फस जाती ह और प क नकासी
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म कावट पैदा करती ह। ऐस म पी ड़त को असहनीय दद होता ह। मे डकल साइस न इस सम या को गॉल- टोन कॉ लक
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नाम दया ह। कछ मामल म य पथ रया सु त अव ा म होती ह यानी य साइल ट रहती ह और इनक मौजूदगी का कभी कोई
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ल ण नह कट होता। शव परी क क सामन ऐस अनेक मामल आत ह जहा मृतक क प ाशय म पथ रय क भरमार
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होती ह। जब क उनक प रवार वाल क अनुसार मृतक को प -पथरी क कभी कोई तकलीफ ई ही नह होती ह।
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कछ लोग म, जनम छोट ब भी हो सकत ह, बाइलरी ूब पूरी तरह स गॉल- टोन स भरी होती ह। कछ को इसक चलत े
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एलज आ द क शकायत होन लगती ह तो कछ म इसक कोई ल ण नजर नह आत। अमूमन सू म कण क प म होन क े
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कारण ए स-र व अ य क न ग ट ट क दौरान य टोन नजर भी नह आत। वैस दखा जाए तो प -पथरी, नाम क वपरीत,
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सचमुच का प र नह होता। य रबर क तरह और मुलायम होती ह। आमतौर पर हर रंग क होती ह और पानी म डबती
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नह । य आकार म चावल क दान स लेकर गो फ-बॉल जतनी बड़ी हो सकती ह। पैथोलॉजी परी ण क अनुसार, प -पथरी
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म लगभग 91 तशत कोले टरॉल और बाक बाइल सॉ ट, पानी व अ य ठोस पदाथ होत ह। बहरहाल, प -पथ रया ं
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आकार म कतनी ही बड़ी य न ह , प ाशय व लवर ल ज क मदद स इ ह आसानीस बाहर नकाला जा सकता ह।
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गौरतलब यह भी ह क प ाशय नकाल दन स जहा आपक पाचन या भा वत होती ह वह प -पथरी क सम या का
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शत- तशत समाधान संभव नह होता। आपको पथरी होन का खतरा बना रहता ह। लवर ल ज स इन बनी-अधबनी
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पथ रय को बाहर नकालन म मदद मलती ह।
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प -पथरी होन क ल ण
प -पथरी क दशा म दखाई दन वाल कछ खास ल ण न न ल खत ह-
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पेट-अंत ड़य म गैस व मरोड़ का होना पेट म दद जो क बढ़कर दाएं कध तक प ंच जाता ह पथरी क लंब समय तक प -
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न लका म बन रहन स न लका लॉक (अव ) हो जाती ह और पथरी क पीछ प का जमाव होन लगता ह। इसक कारण
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पी ड़त को ‘ऑब टव जॉ स’ यानी पी लया हो जाता ह। प -पथरी क उस ान पर बनन का खतरा अ धक होता ह ै
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जहा कोले टरॉल क अ धकता होती ह। कोले स टाइ टस ( प ाशय का दाह व इ फ न) एक ऐसी ही सम या ह, जो क
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प नली क लंब समय तक लॉक रहन स होती ह प ाषय को न नकाल गॉल- लैडर नकाल दए जान स आपको जान-
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जो खम का कोई खतरा तो नह रहता, ले कन इसक न होन पर कई रोगो क हान का खतरा सामा य स कह यादा रहता ह।
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चब को पचान और उसक ए जॉव शन, कोले टरॉल व टॉ स स को शरीर स बाहर नकालन क लए गॉल- लैडर ज री ह।
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गॉल- लैडर क न होन पर लवर म बन रहा बाइल लगातार थोड़ी-थोड़ी मा ा म छोट आँत म प ंचता रहता ह। ऐस म फट क े
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पचन क लए एक मु त जतनी मा ा म बाइल क ज रत होती ह, उतनी नह मल पाती।
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